ठोकर
हमको अब सारी दुनिया को बताना है
सभी चेहरों को मैंने पहचाना है
यहाँ सभी ने नक़ाब पर नक़ाब पहने है
ठोकर खाकर मैंने सबकुछ जाना है
लोग बाहर से मीठे अंदर से विषैले हैं
अपने अनुभव से मैंने ये जाना है
जो कहते थे कि जिंदगी भर साथ देंगे
अब वही एक गुजरा हुआ जमाना है
धोखा दिया है मुझे खुदगर्ज लोगों ने
इससे अच्छा तो मेरा मयखाना है
– रमाकान्त पटेल