लेख

स्वच्छता की गंदी हकीकत

भारत के प्रधानमंत्री के महत्वपूर्ण मिशन का उदय 2 अक्टूबर 2014 को हुआ था इस मिशन का मुख्य उद्देश्य था सामज की दशा और दिशा बदलना! इस मिशन के अन्तर्गत पूरे भारत में इज्जत घर बना दिये गये हैं सभी अधिकारी और कर्मचारियों ने इस मिशन में युद्ध स्तर से कार्य किया गया है जबकि यह मिशन एक जंग से कम नही है, क्योंकि इसका सीधा संबन्ध समाज में साकारात्मक परिर्वतन लाना है। इस मिशन में कागजी हकीकत कुछ और बयां कर रही है और जमीनी हकीकत कुछ और ? इस मिशन के अन्तर्गत जिन ग्राम पंचायतों को कागज पर ओडीएफ घोषित कर दिया गया है उन्ही पंचायतों में गंदगी का अम्बार देखने को मिलता है, वहीं आधे अधूरे इज्जतघर प्रशासन को मुंह चिढा रहें है।

पेय जल एवं स्वच्छता मंत्रालय की जिस शाखा का नाम स्वच्छ भारत मिशन ग्रामींण दे दिया गया वहीं सरकार चाहती तो इस मिशन से भ्रष्ट अधिकारियों को दूर रखा जा सकता था, और एक नई टीम बनाकर इस मिशन को क्रियान्वयन कराती तो आज स्वच्छ भारत मिशन ग्रामींण की तस्वीर कुछ और ही देखने को मिलती किन्तु सरकार ने ऐसा नही किया ? अपने मत्वपूर्ण मिशन को एक सुप्रसिद्ध विभाग के हवाले कर दिया, इस मिशन को विभाग में शौपने से पहले उस विभागीय कार्य की पडताल की जाती और उनके कार्य का अंदाज देखा जाता तब इस मिशन को इस विभाग को देना चाहिए था ? इसी विभाग द्वारा लाखों की लगात से ग्राम पंचायतों में तालाबों का निर्माण कराया गया जाता है, फिर उसके बाद तालाब की क्या हालत रहती है और निर्माण किस तरह से होता है इसको बतानें की जरूरत नही है बात सिर्फ यह है कि जब लाखों की लगात वाले तालाबों की ओर विभाग कोई ध्यान नही दे पा रहा है तो 12 हजार के इज्जत घर वह कहां से देख पायेगा। जो तालाब आदर्श तालाब का दर्जा पा चुके हैं वही तालाब आज अपनी बदहाली पे आंशू बहा रहें है। इस विभाग के बारें में जितना बखान किया जाये वह कम ही होगा, जब एक ही खडण्जे को दो या तीन बार अलग नामों से दूरी दिखा कर बनाया सकता है और पूरार्नी इंटों से नया निर्माण कराया जा सकता है तो! है न कमाल का विभाग।
2 अक्टूर 2014 से 2 अक्टूबर 2018 के मध्य इस मिशन में कई हजार करोड रूपये खर्च कर दिये गये फिर भी नतीजा ढाक के तीन पात ही देखने को मिल रहा है। इस विभाग द्वारा बनाये गये पंचायत भवन व बारात घर की गुणवत्ता पर एक नजर डाल ली जाती हो इस मिशन का सपना साकार हो सकता था क्योंकि इन भवनों मे तो लाखों की लगात लगी है, उसके बावजूद प्रधानमंत्री ने अपने महत्वपूर्ण मिशन को उस विभाग को सौंप दिया जिसके कारनामें हर गली हर गांव में देखने को मिल रहें है। जब वह लाखों की लागत वाले निर्माण की ओर ठीक से नही देख पा रहा है तो वह आपके 12 हजार भला कहां से देख पायेगा।

2 अक्टूबर 2018 में संपूर्ण उत्तर प्रदेश खुले में शौंच से मुक्त होने जा रहा है कागज के आईने में देखा जाये तो अब कोई भी खुले में शौंच नही कर रहा है, जबकि जमीनी हकीकत तो कुछ और ही बयां कर रही है ? बात अगर की जाये गांवो की साफ सफाई की तो इससे पहले भी एक प्रदेश सरकार ने नया विभाग बना कर सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी यह नियुक्ति उत्तर प्रदेश के पत्येक जिलें मे देखने को मिलती है इनका मुख्य उद््देश्य था कि ग्राम पंचायतों को साफ सुथरा रखना जिसके कारण सभी ग्रामींणांचलों में गंदगी से फैलने वाले संक्रमक रोगों से मुक्ती मिल सके यह भर्ती भी उसी विभाग को सौंप दी गई थी इस पर दूरदर्शी प्रधानमंत्री जी को इनके क्रिया कलापों पे एक सरसरी नजर डाल लेनी चाहिए थी ? क्योंकि मुद्दा था स्वच्छता का ? और यह देखना चाहिए था कि सफाई कर्मचारी अपने कार्य को लेकर कितना जागरूक हैं इसका अवलोकन भी करना चाहिए था ? सच तो यह है कि गांव मे तैनात सफाई कर्मचारी गांवों में झाडू ले जाते शर्माते हैं ? तो गांव की गंदगी क्या खाक मिटायेगे ? और इन्ही सफाई कर्मचारियों को इस मिशन का स्वाच्छाग्राही बना दिया गया है यह किसी को प्रेरणा देनें की बात तो दूर वह खुद गांव में जाने से कतराते हैं इनको झाडू न पकडना पडे इसलिये यह कर्मचारी अधिकारियों का दामन पकडे रहते हैं और अधिकारी भी इन पर अपनी कृपा दृष्टि डाल कर किसी न किसी कार्यालय में संबद्ध कर देते है, तो बात अब स्वच्छता की रही कहां ? जब झाडू वाली नौकरी से घिन्न आने लगी तो सफाई कर्मचारियों ने 1 फरवरी 2018 को विधान सभा का घेराव कर दिया और अपनी मांग को लेकर कहा कि सभी कर्मचारियों को अब ग्राम पंचायत अधिकारी बना दिया जाये, प्रधानमंत्री जी जो कर्मचारी अधिकारी बनने का सपना संजोये हैं वह कर्मचारी आपके मिशन को किस नजर से देखेगा आप खुद ही समझ जायइये ?

यह मिशन समाज की दशा और दिशा बलदने के लिये बनाया गया इस महत्वपूर्ण मिशन को विभाग को सौंपने से पहले विभाग के द्वारा कराये गये पूर्व कार्यो पर एक नजर नही डाल लेनी चाहिए थी, केन्द्र सरकार की मंशा थी कि प्रत्येक लाभार्थी की धनराशि उसी के खाते में जानी चाहिए किन्तु ऐसा क्यों नही हुआ ? यह मिशन प्रधानमंत्री का महत्वपूर्ण मिशन था तो इस मिशन में ठेकादारी प्रथा क्यों हावी हो गई निर्माण कार्य को कराने के लिये एक ठेकेदार क्या होता है यह बात किसी को बताने की जरूर नही है। एक राजगीर मिस्त्री जहां सामान्य तौर एक शौंचालय बनाने में लगभग एक सप्ताह का समय लेता है वहीं वह मिस्त्री एक दिन में दो से तीन शौंचालयों का निर्माण कर रहा है अब वह मानक में नही है तो राजगीर क्या करे शौंचालय मे ंगुणवत्ता नही है तो इसमें राजगीर का कोई दोष नही है उसको जिस प्रकार का और जितना मटेरियल दिया गया उसने वैसा ही बना केे तैयार कर दिया।

2 अक्टूबर से पहले की जिले के सभी कर्णधारों ने स्वच्छता का गंदा झूंठ सरकार को पेश करने की तैयारी में बडे जोर शोर से लगे दिखाई दे रहे है, अभी से उत्तर प्रदेश के अधिकांश पंचायतों को खुले में शौंच से मुक्त कर दिया गया है, सभी अधिकारी अपनी इज्जत बचाने के लिये प्रत्येक गांव में इज्जतघर बन जानें का दावा भी करने वाले हैं, सच तो कुछ और ही कह रहा है कि सफाई ने नाम पर किये जाने वाले सारे दावे गंदे हैं सफाई किये गये दावों से कोसो दूर नजर आ रही है।

इस स्वच्छ भारत मिशन ग्रामींण में प्रधानमंत्री को अपने मनमुताबिक परिणाम पाने के लिये जंगबाजों की एक टीम ही अलग बना देनी चाहिए थी उनके स्वच्छता संबन्धित कार्य को निष्पादित करनें के तौर तरीके व आदेशों से सुसज्जित करना चाहिए था और प्रत्येक गांव की रिर्पोट वह सीधे पंचायत से केन्द्र पर देखते और इस मिशन में लापरवाही बरतने वाले को कठोर सजा दिये जाने का भी प्रावविधान होता तो प्रधानमंत्री जी के इस मिशन में चार चांद लगाने से कोई नही रोक सकता था जबकि वर्तमान समय में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामींण को ग्रहण लगता दिखाई पडा रहा है, ओडीएफ की वास्त में हकीकत क्या है देश का हर नागरिक जान चुका है।

राज कुमार तिवारी (राज)

राज कुमार तिवारी 'राज'

हिंदी से स्नातक एवं शिक्षा शास्त्र से परास्नातक , कविता एवं लेख लिखने का शौख, लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र से लेकर कई पत्रिकाओं में स्थान प्राप्त कर तथा दूरदर्शन केंद्र लखनऊ से प्रकाशित पुस्तक दृष्टि सृष्टि में स्थान प्राप्त किया और अमर उजाला काव्य में भी सैकड़ों रचनाये पब्लिश की गयीं वर्तामन समय में जय विजय मासिक पत्रिका में सक्रियता के साथ साथ पंचायतीराज विभाग में कंप्यूटर आपरेटर के पदीय दायित्वों का निर्वहन किया जा रहा है निवास जनपद बाराबंकी उत्तर प्रदेश पिन २२५४१३ संपर्क सूत्र - 9984172782