मोहब्बत
दिल भूलता नहीं क्यूं , वो मोहब्बत तेरी।
रहती है साथ साथ वो , मासूमियत तेरी।
दिल भूलता नहीं ,,,,,,,,,,,,,,
क्यूं टीसता है दर्द , अब भी कल्बो ज़िगर,
रौशन है अब भी रुह का, वो शान-ए-बसर,
काबिज़ है दिलमें अब भी,वो शख़्शियत तेरी।
दिल भूलता नहीं ,,,,,,,,,,,,,,
लम्हें दर लम्हे ये , गुज़रते हुये लम्हात ,
बढ़ रही है साथ में , शिकस्ता ये हयात ,
तनहाईयों में शामिल , है अहमियत तेरी ।
दिल भूलता नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,
क्यूं जला के चल दिये यूं, दिल का आशियां,
बाकी है फिर भी कुछ तो , राब्ता दरमियां,
यादों की आहों से है , बयां ख़ासियत तेरी।
दिल भूलता नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,
यादों के चराग़ों से यूं , जलने लगी शमा ,
आंखों में आ गये हैं , अश्कों के कारवां ,
छाई है अंजुमन में यूं , रुहानियत तेरी ।
दिल भूलता नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,
— पुष्पा “स्वाती”