कविता

हर पल घटता जीवन

बून्द-बून्द सी टपक रही है जिंदगी।
हर पल हर दम रिश रही है जिंदगी।

चट्टानों सा खुद को समझने वालों,
छोटे कंकरों में बिखर रही है जिंदगी।

रिश्तों का बांध टूट कर बह रहा है।
शैलाबो के बहाव ने बह रही है जिंदगी।।

घर की नींव में छलावों की रेत भरी है।
दर्द के झटकों से पूरी नींव हिल रही है।।

आकांक्षाओ के शिकंजे में हरेक आगे बढ़ रहा है।
हर पल घट रहा है जीवन,ये इंसान नही समझ रहा है।।

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected] ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)