गीत
भूला बिसरा गीत हूँ मैं ,
जब चाहा गुनगुना लिया ।
खुदा की कोई भूल हूँ मैं ,
जब चाहा आजमा लिया ।
साहिल का पत्थर हूँ मैं,
जब चाहा पार लगा लिया ।
रास्ते की कोई धूल हूँ मैं ,
जब चाहा सिर से लगा लिया ।
अनचाहा सा इकरार हूँ मैं ,
जब चाहा करार बना लिया ।
हां ईश्वर की कोई भूल हूँ मैं ,
बनाकर जिसे खुद ही रो लिया ।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़