‘सफाई दूत’ का कारवां
सफाई किसको पसंद नहीं है! सभी को अपने चारों तरफ स्वच्छता के वातावरण की चाहत होती है. यह दीगर बात है, कि लोग सफाई करने में अपनी हेठी मानते हैं और अपने घर की सफाई के लिए भी उनको नौकर की दरकार होती है. घर की बात को रहने भी दें, तो सार्वजनिक स्थानों पर सफाई करने में लोगों को, विशेषकर ऊंचे पद वाले लोगों को बहुत शर्म महसूस होती है. लेकिन रोडवेज के क्षेत्रीय सेवा प्रबंधक एसपी सिंह के साथ ऐसा नहीं है.
एसपी सिंह ने आगरा में स्वच्छता की ऐसी अलख जगाई है कि उनका नाम ही ‘सफाई दूत’ पड़ गया है.
”लो आ गया झाड़ू वाला.” शुरुआत में लोगों ने झाड़ू वाला कहकर उनका मजाक भी उड़ाया. उससे क्या! दिल में शहर चमकाने का जज्बा हो, गाड़ी में झाड़ू हो, तो अकेले चले थे, कारवां बनता गया. धीरे-धीरे उनकी मुहिम रंग लाने लगी और लोग उनके काम में हाथ बंटाने लगे. आज उनके ग्रुप से देश-विदेश के 8800 लोग जुड़ चुके हैं.
एसपी सिंह ने सबसे पहले अपने दफ्तर को साफ रखने का बीड़ा उठाया. यह काम सफाई कर्मचारियों से कराने के बजाय खुद दफ्तर में झाड़ू लगानी शुरू की. शुरुआत में उनका मजाक उड़ाया गया, लेकिन धीरे-धीरे साथियों और कर्मचारियों को उनके अभियान का महत्व समझ आया. फिर क्या था सफाई का मेरा कारवां दफ्तर से निकलकर वर्कशॉप, बसों और बस अड्डों से होता हुआ प्रदेश के कई जिलों तक पहुंच गया और यह बढ़ता ही जा रहा है. सिंह अपनी गाड़ी की डिग्गी में सौ झाड़ू लेकर चलते हैं. जहां भी गंदगी दिखाई देती है वह गाड़ी से उतरकर ड्राइवर के साथ सफाई करने लगते हैं. उनको देख आस-पास मौजूद लोग भी इस काम में जुट जाते हैं.
अब झाड़ू कहां से आएं? एसपी सिंह ने फेसबुक पर झाड़ू दान ग्रुप भी बना रखा है. इससे अब तक करीब 8800 लोग जुड़ चुके हैं. इस ग्रुप के 200 से अधिक सदस्य हर महीने झाड़ू व कूचे खरीदने के लिए आर्थिक मदद देते हैं. इसमें जर्मनी, तंजानिया, स्विट्जरलैंड के नागरिक भी शामिल हैं. आगरा, औरैया, मथुरा, वृंदावन व आसपास के कई इलाकों के स्कूलों और धर्मशालाओं में उनका ग्रुप झाड़ू व कूचे दान देता है. झाड़ू लेने वालों को स्वच्छता की शपथ भी दिलाई जाती है.
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया.
‘सफाई दूत’ का कारवां भी बढ़ता जा रहा है. सरकार ने भी उनकी मुहिम की तारीफ की है. कुंभ के मद्देनजर उन्हें विशेष तौर पर इलाहाबाद भेजा जा रहा है.
प्रिय ब्लॉगर भाई रविंदर जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अगर कोई ठान ले कि मुझे यह काम करना है तो वह जरूर करता है, उतने ऊंचे पद पर होने के वाबजूद उन्होंने खुद सफाई कर एक मिसाल कायम की और दूसरों के लिये प्रेरणास्रोत बने.सबसे बड़ा रो, क्या कहेंगे लोग! ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.
2 अक्टूबर यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती। देश के प्यारे बापू। बहुत कुछ कर गए, बहुत कुछ बता गए। यूं तो कोई कह दे कि आज के ज़माने में गांधी के रास्ते पर चलता ही कौन है, लेकिन यह भी तय है कि शांति गांधी के रास्ते पर चलकर तन-मन-वातावरण को स्वच्छ बनाकर ही मिलेगी।
2 अक्टूबर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी की जयंती भी होती है। देश को ‘जय जवान जय किसान’ देने वाले शास्त्री जी की पूरी जिंदगी सादगी और ईमानदारी की मिसाल थी।
आदरणीय बहन जी, आपने सही कहा है सफाई करने में लोगों को, विशेषकर ऊंचे पद
वाले लोगों को बहुत शर्म महसूस होती है कई लोग बहुत कुछ सकारात्मक करना चाहते हैं
परन्तु इसमें सबसे बड़ी अड़चन है लोग क्या कहेंगें याने अहंकार आड़े आता है । देश में इस प्रकार के व्यक्तियों को देखकर और उनके समाचार आप जैसों के माध्यम से सुनकर बहुत ख़ुशी होती है । धन्यवाद ऐसे सुन्दर विचारों के लिए ।
प्रिय ब्लॉगर भाई रविंदर जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. अगर कोई ठान ले कि मुझे यह काम करना है तो वह जरूर करता है, उतने ऊंचे पद पर होने के वाबजूद उन्होंने खुद सफाई कर एक मिसाल कायम की और दूसरों के लिये प्रेरणास्रोत बने.सबसे बड़ा रो, क्या कहेंगे लोग! ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.