मुक्तक
रेत की दीवार पर महल बना सकता हूँ,
बहते पानी पर लिखकर बता सकता हूँ।
मेरे हौसलों का अहसास नहीं है तुमको,
बिना पंख के भी उड़कर दिखा सकता हूँ।
— अ कीर्तिवर्धन
रेत की दीवार पर महल बना सकता हूँ,
बहते पानी पर लिखकर बता सकता हूँ।
मेरे हौसलों का अहसास नहीं है तुमको,
बिना पंख के भी उड़कर दिखा सकता हूँ।
— अ कीर्तिवर्धन