आस का पंछी
रहता है सबके मन में, ये आस का पंछी।
उड़ता खुले गगन में ये आस का पंछी।
जितनी बड़ी तमन्ना, उतनी बड़ी उड़ान,
चला है मन मगन में ये आस का पंछी।
बातों मैं जोश दिल में, उम्मीद को लिये,
शामिल हुआ लगन में, ये आस का पंछी।
मुश्किल बड़ी हैं राहें,जाना है दूर तक,
मंजिल लिये नयन में, ये आस का पंछी।
चलते सभी हैं “स्वाती” मंजिल तभी मिले,
उड़ेगा जब जुनून में ये आस का पंछी।
— पुष्पा ” स्वाती “