लघुकथा

प्रतिभागिता

आज रेणुका की खुशी का ठिकाना नहीं था. सुबह-सुबह स्कूल की प्रार्थना सभा में एक सह अध्यापिका निमी ने रेणुका को बधाई दी.
”बधाई के लिए बधाई, लेकिन यह तो बताओ किस बात की बधाई?”
”बनो मत. आपको दिल्ली राज्य स्तर वाली प्रथम अध्यापक नवाचार शोधपत्र प्रतियोगिता में आपको प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है. 12 समाचार पत्रों में यह समाचार आया है. आपको पता तो होगा!” निमी की बात सुनकर रेणुका हैरान थी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था. तभी उसकी नजर पीछे खड़ी प्रधानाचार्या पर पड़ी. वे मुस्कुरा रही थीं. रेणुका ने उन्हीं से पूछ लिया- ”मैडम, निमी सच कह रही है?”

”बिलकुल सच कह रही है. विभाग ने मेरे से ही रिपोर्ट मंगवाई थी. ई.ओ. खुद तुम्हारे लगाए हुए सारे बुलेटिन बोर्ड्स भी देख गई थीं. मेरी तरफ से भी बधाई.” प्रधानाचार्या ने उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा और माइक पर उद्घोषणा भी की.
स्कूल में तो रेणुका पार्टी और पढ़ाने में व्यस्त रही, पर घर पहुंचकर वह विचारों में खो गई.
यों उदास रहना उसकी फितरत नहीं थी, पर कितनी उदास थी वह उस दिन, जब उसकी एक सह अध्यापिका ईश्वर कहीं से उस प्रतियोगिता का सर्क्यूलर ढूंढकर उसके पास लाई और उसे अच्छी तरह पढ़ने और इसमें प्रतिभागिता करने की सख्त हिदायत दी. उसका कहना था- ”हमारे स्कूल से सिर्फ़ आप ही इसमें प्रतिभागिता कर सकती हैं, यह मौका गंवाना मत.”
अपनी लगन, परिश्रम और प्रतिभा पर तो रेणुका को कोई संदेह नहीं था, पर उसके सामने प्रश्न यह था, कि इतना बड़ा शोधपत्र भला मात्र 15 दिन के कम समय में कैसे पूरा हो सकेगा? इसी उदासी से घिरी वह कब यंत्रवत काइनैटिक होंडा पर सवार होकर घर पहुंची, गेट खोला, स्कूटर रखा, उसे पता ही नहीं चला. उस दिन उसका खाना खाने का भी मन नहीं किया. 
”काश! भारत सरकार के राजभाषा विभाग को भेजा गया हिंदी भाषा वर्तनी में त्रुटियों से संबंधित शोधपत्र स्वीकृत न हो और वापिस आ जाए! वहां तो उसकी 6 महीने की मेहनत बस उनकी वार्षिक पत्रिका में प्रकाशित होगी और मात्र 450/- रुपये मिलेंगे. ” वह सोच रही थी. 
उसकी विचार-लहरी और उदासी अधिक देर तक नहीं टिक पाई थी, सचमुच ही थोड़ी देर बाद वह आलेख खेद सहित वापिस आ गया था. उसी के फलस्वरूप आज उसे इतना बड़ा सम्मान प्राप्त हुआ था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “प्रतिभागिता

  • लीला तिवानी

    ईश्वर जैसी सह अध्यापिका सबको मिल सके, तो कितना अच्छा हो! प्रेरणा से आगे बढ़ने साहस आ जाता है और कामयाबी का रस्ता अपने आप खुल जाता है.

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