कविता

फूलों की कविता-19

                                       फूलों की 21 कविताएं से संग्रहीत

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19. यह ही अमर तराना है

 

 

खिलकर फूल सिखाते हमको,

बगिया को महकाना है।

जीवन नाम समर्पण का है,

सबको यह बतलाना है॥

जग में कोई अमर नहीं है,

इक दिन सबको जाना है।

झरकर भी खुशबू फैलाओ,

यह ही अमर तराना है॥

 

फूलों की कविताओं की इस श्रंखला की 21वीं और अंतिम कड़ी में आप ई.बुक. ”फूलों की 21 कविताएं” का लिंक भी देख सकेंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फूलों की कविता-19

  • लीला तिवानी

    फूलों का अमर तराना हमें बहुत कुछ सिखाता है. सबकी तर्ह एक दिन फूल भी झरकर, खुशबू फैलाकर चले जाते हैं, पर जाते-जाते भी अमर होकर अनेक अमर संदेश दे जाते हैं.

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