मधुमास
बौरों से लदी हो अमराई ,
कोयल की कुहूकती तान रहे |
कुसुमों से भरी हो हर क्यारी ,
मन उपवन में मधुमास रहे |
चहुँ ओर सुगंध बसे ऐसी ,
मन आनंदित मृदु हास रहे |
पुरवाई चले नित सुख बरसे ,
हर अंतर में मधुमास रहे |
पेड़ों पे नई कोंपल फूटे ,
फूलों पे मधुप गुंजार करें |
हर हृदय प्रेम से रहे पूर्ण ,
छाया हर पल मधुमास रहे |
सुख दुख में सदा एक रस हों,
मन में उत्साह अदम्य रहे |
मुस्कान अधर पर रहे खिली ,
हर आँगन में मधुमास रहे |
वाणी में सदा मधुरता हो ,
ऐसा ही सदा प्रयास रहे |
फैले जग में सुंदर सुवास ,
चहुँ ओर सदा मधुमास रहे |
जन जीवन में नव जीवन हो ,
हर गाँव गली खुशियाँ बरसे |
चहुँ ओर अभाव न शेष रहे ,
सर्वत्र सदा मधुमास रहे |
धानी चूनर पीले बूटे ,
धरती दुल्हन सी सज जाए |
नयनों की ज्योति न हो फीकी,
हर आँखों में मधुमास रहे |
किलकारी गूँजे घर आँगन ,
हर ऋतु मधु ऋतु सी खिल जाए|
मधु “मंजूषा” भर दो इतनी ,
जग में छाया मधुमास रहे |
मंजूषा श्रीवास्तव “मृदुल”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश )