रिक्तता
“रिक्तता ”
जब होती हूँ मैं अकेली
एक तन्हाई मुझे घेर लेती है
और मन विवश होता है
अंधेरी गलियों में
भटकने के लिए
खोजने के लिए जीवन का अर्थ ।
जीवन का सत्य यही है
यहाँ भीड़ में भी
हर इन्सान अकेला है ।
“रिक्तता “भरे ऐसे क्षण में
तुम्हे अपने पास पाती हूँ
हे!ईश्वर ।
तुम मुझमें नई शक्ति भर देते हो
और मैं उठ खड़ी होती हूँ
अपने कर्तव्य पथ पर
अग्रसर होने के लिए ।
ज्योत्स्ना के कलम से