लघुकथा

दो शब्द

कहते हैं- दो शब्द सहनुभूति के सब दुःख-दर्द भुला देते हैं, दो शब्द कठोरता के सारे जीवन की मधुरिम कमाई को मिट्टी में मिला देते हैं. क्या अपने कभी यह सुना कि याददाश्त भूले व्यक्ति को मात्र दो साधारण शब्द पहाड़ी और 3 नंबर चुंगी उसे अपने परिवार से मिला देते हैं. पंकज के साथ यही सब तो हुआ!

 

 

डबुआ कॉलोनी निवासी पंकज (25) किसी काम से 30 अगस्त को सुबह घर से दिल्ली जाने के लिए निकला था। रास्ते में उसका ऐक्सिडेंट हो गया. राहगीरों ने लहूलुहान युवक को रास्ते में पड़ा देख सफदरजंग हॉस्पिटल पहुंचा दिया. यहां उसकी जान तो बच गई, लेकिन होश आने पर पता चला कि उसकी याददाश्त जा चुकी है. वह 36 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहा, इधर घर वालों का रो-रोकर बुरा हाल था.

 

 

सफदरगंज हॉस्पिटल की पुलिस चौकी से एक कॉल कंट्रोल रूम में आई कि 25 साल का एक युवक जो रोड ऐक्सिडेंट में अपनी याददाश्त खो चुका है, वह 30 अगस्त से हॉस्पिटल में भर्ती है. डॉक्टर के पूछने पर अपने पते के तौर पर पहाड़ी और 3 नंबर चुंगी ही बता पा रहा है. से फोटो के साथ मिसिंग सेल को भेजी गई. युवक की किस्मत अच्छी थी, कि मिसिंग सेल इन्चार्ज एसआई नरेंद्र शर्मा को याद आया कि शहर में डबुआ कॉलोनी में 3 नंबर चुंगी है. यहां से कुछ दूरी पर पहाड़ी भी है. फिर क्या था!

 

 

एसआई ने इस पॉइंट पर काम शुरू कर दो पुलिसकर्मियों को सफदरगंज हॉस्पिटल भेज युवक का फोटो वॉट्सऐप करने को कहा. इधर, वह टीम लेकर डबुआ थाना पहुंचे. तब तक टीम ने फोटो भी भेज दी. थाना पुलिस और मिसिंग सेल ने फोटो के आधार पर चुंगी के आसपास इलाके में तलाश शुरू की. एक दुकानदार ने फोटो पहचान कर युवक के घर का पता बता दिया. मिसिंग सेल की टीम उस युवक के घर पहुंची. फोटो देख युवक के भाई ने पहचान कर ली.

 

याद रहे दो साधारण शब्दों ने पंकज को अपने परिवार से मिला दिया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “दो शब्द

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    सहानुभूति तो रामबाण की तरह असर करती हैं.

  • लीला तिवानी

    फरीदाबाद सड़क दुर्घटना में याददास्त खो चुके युवक को वापस परिवार से मिलाने के लिए पुलिस टीम का धन्यबाद करते हैं. मिसिंग सेल इन्चार्ज एसआई नरेंद्र शर्मा की गज़ब की याददाश्त और त्वरित बुद्धि ने यह काम शीघ्र ही संभव कर दिया. सचमुच पंकज की किस्मत अच्छी थी, कि सब काम सरल होता गया.

    • रविन्दर सूदन

      आदरणीय बहन जी, अभी तक तो पता था दो शब्द सांत्वना के कितना गजब का असर
      करते हैं पर ऐसे दो शब्दों का चमत्कार तो पहली बार पढ़ा ।

      • लीला तिवानी

        प्रिय ब्लॉगर रविंदर भाई जी, आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. सांत्वना के दो शब्द गजब का असर करते हैं, पर ऐसे दो शब्दों का चमत्कार तो हमने भी पहली बार देखा और वे भी दो सामान्य शब्द पहाड़ी और 3 नंबर चुंगी, जो कहीं भी हो सकते हैं. बड़ी मुस्तैदी से इनका समन्वय बिठाकर पंकज को परिवार से मिलाया गया. यह प्रयास स्तुत्य है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

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