“अपना भारत देश महान”
जब होगा अपने भारत में, उन्नत-सबल किसान।
तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।।
भ्रष्टाचारी जब खेतों में, कंकरीट नहीं बोयेंगे,
गट्ठर बाँध अन्न की जब सब, अपने सिर पर ढोयेंगे,
कहलायेगा तब ही अपना भारत देश महान।
तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।।
भोग छोड़कर लोग यहाँ जब, सहज योग अपनायेंगे,
मदिरा-मांस छोड़ प्राणी, जब शाक-सब्जियाँ खायेंगे,
भौंडे गाने छोड़ गायें सब, देशभक्ति के गान।
तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।।
जब शिक्षा की दूकानों में, ज्ञान न बेचा जायेगा,
तब अध्यापक को श्रद्धा से, गुरू पुकारा जायेगा,
विद्यालय से शिक्षित होकर, निकलेंगे विद्वान।
तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।।
जिस दिन वीर सैनिकों का सम्मान बढ़ाया जायेगा,
दुश्मन को उसकी भाषा में, सबक सिखाया जायेगा,
क़ायम रखना होगा हमको, आन-बान-अभिमान।
तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।।
अपनी धरती पर, अपना कानून बनाना होगा,
सत्ता से सब गद्दारो को, हमें हटाना होगा,
अलग बनानी होगी अपनी, दुनिया में पहचान।
तब जग का शिरमौर बनेगा, अपना हिन्दुस्तान।।
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(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)