गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – सायबान

ऐ जिंदगी कुछ यूं गुज़र के खुद को और तराश दे
है  दर्द  से  भीगी  हुई  कोई  सायबान  तलाश दे।
तू रुख ज़माने का समझ के,देख दुनियां की सब़ा
सूरत पे सब होते फ़िदा, सीरत को कोई न आश दे
अभी रंग है उधड़ा हुआ,कुछ रुप में  है सादगी,
ज़रारुप को दे रौशनी,और रंग शोख़ ए पलाश दे।
न आरजू शोहरत की है,न तमन्ना कोई उड़ान की
बस हौसला इतना रहे,के हयात को न हताश दे।
रब  से  दुआएं  हैं  यही ,अल्ताफ़  की  बरसात  में,
हरसू फ़कत ये प्यार हो नहीं नफ़रतों की ख़राश दे
पुष्पा “स्वाती”  

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है