बाल कविता – आई दिवाली आई दिवाली
आई दिवाली आई दिवाली।
झड़ी ख़ुशी की लाई दिवाली।।
पिंकी बिट्टू ध्यान ज़रा दो,
बबली चिंटू मान ज़रा लो।
बम पाठकों से मुंह मोड़ो,
हँसी की फुलझड़ी तुम छोड़ो।
शोर धुंए को दूर रखो जो,
झूमे धरा हो कर मतवाली।
आई दिवाली आई दिवाली।।
आतिशबाज़ी हानिकारक,
इनसे है नुकसान भयानक।
बच्चो घर को खूब सजाओ,
द्वार पर बंदनवार लगाओ।
दीप जलाओ गली गली यूँ,
रात रहे न ज़रा भी काली।
आई दिवाली आई दिवाली।
लड्डू बर्फी जी भर खाओ,
यारो संग पकवान उड़ाओ।
शिकवे गिले सब भूल पुराने,
दिल से पिछले बैर भुलाओ।
खुशियां अब न जाएँ सम्भाली।
आई दिवाली आई दिवाली,
झड़ी ख़ुशी की लाई दिवाली।।
डॉ मीनाक्षी शर्मा