गुरुर होते देखा है !
दिल को अपने ही हाथों मजबूर होते देखा है।
न चाहते हुए भी प्यार से दूर होते देखा है।
न करनी थी वो गलतियों जो हो चुकी हैं अब,
उन छोटी गलतियों को भी नासूर होते देखा है।
इक छोटे ज़र्रे को क्यों दोष देते हो तुम यूंही,
कितने ज़र्रों को हमने मशहूर होते देखा है।
हँसते थे जो लोग कभी अपनी सूरत पे इस तरह,
आज उन्हीं चेहरों को इतना बेनूर होते देखा है।
रात दिन बस प्यार की ही सोच रहे नहीं जायज़ ,
वतन की खातिर जीए ऐसे वीरों पे गुरुर होते देखा है।
कामनी गुप्ता***
जम्मू !