प्रियतम आओ
गीत सावन में उमड़ता
प्रेम का शुभ स्वप्न पलता
चाँद सी तुम हँस रही हो
शून्य उर में धँस रही हो
प्यार का मधु पीर हो तुम
स्नेह की जंजीर हो तुम ।
आ सको तो पास आओ
कनखियों से मत बुलाओ
उड़ रहा है चारू अच्चल
क्या नहीं है मानस अच्चल
मैं बँधा तुम से प्रियतम
भाग्य की तकदीर हो तुम ।
पट तुम्हारा आसमानी
खिल रही कोमल जवानी
राग की किरणें सुहानी
रूप तुम्हारा है नूरानी।
भाव की तस्वीर हो तुम
धँस रही हो तुम ह्रदय में।
हँस रही हो क्यों मचलती
जा रही हो क्यों उछलती
फेर दो निज दृष्टि कोमल
बन सकेगी प्यार संबल ।
जो न चुभकर फिर निकलता
ऐसे ही तीर हो तुम।।
** कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड
246171