ऐसा बने
दिल न कभी किसी का दुखाये
बुझते दीपक की लौ बन जाईये।
काम हमेशा सब का करते जाईये
राह के कांटे सबके चुनते जाईये।
कई गम अगर दिल में यदि हो भी
पर दूसरो के खातिर तो मुस्कुरात जाये।
अगर जानना है कि क्या है भलाई
तो समझनी होगी क्या है बुराई।
अगर प्यार रखना है जिन्दा हमेशा
वाणी में माधुर्य लाना ही होगा।
दूसरों के खातिर जो मर मिटते थे
ऐसे लोगों को मस्तक झुकना ही होगा।
मुझे जिन्दगी ने बहुत कुछ दिया है
औरू को मुझको कुछ तो देना ही होगा।
* कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड