ग़ज़ल
कर्म का भोगते सिर्फ अन्जाम है
दुःख सुख कर्म का मात्र ईनाम है |
मुर्ख ही सोचते हैं धरा कष्ट मय
मानते स्वर्ग में खूब आराम है |
प्यार करके सभी प्यार से दूर क्यों
इश्क के मार्ग में सिर्फ बदनाम है |
मैं किया था, मिला था सनम से वहाँ
कुछ मिला तो वही एक इलज़ाम है |
बाल, यौवन सभी पार तो हो गया
जिंदगी ढल गयी अब यही शाम है |
कुछ न सोचो न समझो, यहाँ काम कर
कर्म शुभ हो, कुशल क्षेम परिणाम है |
भारती के विधाता नहीं रहनुमा
भारती भाग्य निर्माण में आम है |
नन्द के लाल गर कृष्ण बलराम हो
बन्धु में कृष्ण के जेष्ट बलराम है |
कालीपद प्रसाद