कविता – अयोध्या !!
ये वही अयोध्या है,
जो श्री राम वाली है।
जो दीप* नही इस नगरी,
वो किस काम वाली है।।
जो भूल गये इसको,
उसको राम भूलेगे ।
जो मथुरा को भूले,
उसे श्याम भूलेगे ।।
जिसे भोले ने भी सराहा है,
वही रघुकुल वाली है।
जो सजी दिख रही है,
इसी शाम वाली है।।
जो रावण को मारे,
जो शेबरी अहिल्या को तारे,
ये वही अयोध्या है,
मेरे श्री राम वाली है।।
हृदय जौनपुरी