कविता

माँ

*माँ*
तेरी मुस्कान
मिझे याद है
तु कितनी
भोली हो
तु करूणा
की मूर्ति हो!

माँ
तुम दुख मे
धीरज रखने
वाली हो
तेरी हर सांस
में प्यार है!

माँ
तु अनमोल हो
तु सागर हो
जिसकी गहराई
नही मापा
जा सकता!
तु करूणा दया
की मूर्ति हो!

माँ
तु दुर्गा हो
क्षमा हो
शिवा हो
तेरी कल्पना
अकल्पनीय है
क्योंकि
तु माँ हो!

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी

बिजया लक्ष्मी (स्नातकोत्तर छात्रा) पता -चेनारी रोहतास सासाराम बिहार।