गीत/नवगीत

गीत

ये चूड़ियाँ वाला इस उम्र में कड़ी मेहनत करता है
तीज़-त्योहारों में बहू-बेटियों के खुशी पल भरता है|
बेटे तो पढ़ा-लिखा गृहस्थी में खो गये लगता है
ये बेचारा पेट की खातिर राह बैठ निकलता है|
कितनी रंगबिरंगी सुंदर और सुलभ भाव ले थकता है
सिंदूर, गजरे, बिंदी लेकर विनय मन भरकर हंसता है|
बाज़ार भीड़ में झलक से मन देख बस मचलता
सुहागिन भाव पूछ तीज़ पास है चूड़ियाँ पलटता है|
साथ में जों चूड़ियाँ के पैकेट खरीदें मेहँदी भी देता है
शायद हो बेटी बहू की यादें प्रेम से बेचता लगता है|

— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]