कविता

रावण दहन

सभी भाई, बंधुओं को दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं….🙏🙏🙏

“रावण दहन”
नौ दिन नौ दुर्गोउत्सव के पश्चात
आया आज शुभ दिन, दशहरा,
मिलने, मिलाने का इससे अच्छा
मिलेगा ना अवसर इतना प्यारा।

दें बधाई एक दूजे को खुशी से
भाई, बंधु, दोस्तों से गले लगकर,
मुंह मीठा कराए सबका हम
बिखराए प्यार की मोती हंसकर।

किया था जब सीता हरण रावण ने
राम ने पाई थी विजय उस पर,
अन्याय पर न्याय की विजय स्वरूप
मनाई खुशी रावण पुतला जलाकर।

दहेज, भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी, रावण
जीवित है अनेक अपनी इस धरा पर,
कर दें उन सबका उन्मूलन जड़ से
आओ मिलकर क्रांति अग्नि जलाकर।

पुनः मनाए जीत की खुशी हम सब
मन के अंध- तमस को मिटाकर,
फैला दें जग में धर्म का उजियारा
अधर्म के रावण को मारकर ।

बधाई! सभी बंधु, बांधव जनों को
दशहरा के इस पावन अवसर पर,
भर दें सबकी झोली मां सुख से
विसर्जित करें प्रतिमा, प्रार्थना कर।

पूर्णतः मौलिक-ज्योत्स्ना पाॅल।

*ज्योत्स्ना पाॅल

भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त , बचपन से बंगला व हिन्दी साहित्य को पढ़ने में रूचि थी । शरत चन्द्र , बंकिमचंद्र, रविन्द्र नाथ टैगोर, विमल मित्र एवं कई अन्य साहित्यकारों को पढ़ते हुए बड़ी हुई । बाद में हिन्दी के प्रति रुचि जागृत हुई तो हिंदी साहित्य में शिक्षा पूरी की । सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर एवं मैथिली शरण गुप्त , मुंशी प्रेमचन्द मेरे प्रिय साहित्यकार हैं । हरिशंकर परसाई, शरत जोशी मेरे प्रिय व्यंग्यकार हैं । मैं मूलतः बंगाली हूं पर वर्तमान में भोपाल मध्यप्रदेश निवासी हूं । हृदय से हिन्दुस्तानी कहलाना पसंद है । ईमेल- [email protected]