नन्हा जादूगर
” नन्हा जादूगर ”
आसमान से आया ज़मीं पे
चाँद का एक टुकड़ा
दो नैना हैं जादू भरे
उज्ज्वल प्यारा सा मुखड़ा ।
पल भर में हर ले दुख सारे
उसकी प्यारी सी मुस्कान
बोले जब तोतली बोलियाँ
मोह लेता सबके चितवन ।
निष्कपट है आंखों की भाषा
धवल हिम सा निर्मल मन
चंचल-चपल भरे जब दो पग
खुशी की लहरें उठती मन-आंगन ।
पल भर में मोह ले सबको
बाँध दे एक अटूट बंधन
न रहे फिर गिले-शिकवें
न रहे कोई मान-अभिमान ।
जिसकी ऐसी जादूगरी
वही है वो नन्हा जादूगर
दूं प्रेम की पनघट उड़ेल
उसकी सुंदर मुस्कान पर।
स्वरचित-ज्योत्स्ना पाॅल
मौलिक रचना