बाल कविता

नन्हा जादूगर

 

” नन्हा जादूगर ”

आसमान से आया ज़मीं पे
चाँद का एक टुकड़ा
दो नैना हैं जादू भरे
उज्ज्वल प्यारा सा मुखड़ा ।

पल भर में हर ले दुख सारे
उसकी प्यारी सी मुस्कान
बोले जब तोतली बोलियाँ
मोह लेता सबके चितवन ।

निष्कपट है आंखों की भाषा
धवल हिम सा निर्मल मन
चंचल-चपल भरे जब दो पग
खुशी की लहरें उठती मन-आंगन ।

पल भर में मोह ले सबको
बाँध दे एक अटूट बंधन
न रहे फिर गिले-शिकवें
न रहे कोई मान-अभिमान ।

जिसकी ऐसी जादूगरी
वही है वो नन्हा जादूगर
दूं प्रेम की पनघट उड़ेल
उसकी सुंदर मुस्कान पर।

स्वरचित-ज्योत्स्ना पाॅल
मौलिक रचना

*ज्योत्स्ना पाॅल

भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त , बचपन से बंगला व हिन्दी साहित्य को पढ़ने में रूचि थी । शरत चन्द्र , बंकिमचंद्र, रविन्द्र नाथ टैगोर, विमल मित्र एवं कई अन्य साहित्यकारों को पढ़ते हुए बड़ी हुई । बाद में हिन्दी के प्रति रुचि जागृत हुई तो हिंदी साहित्य में शिक्षा पूरी की । सुभद्रा कुमारी चौहान, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर एवं मैथिली शरण गुप्त , मुंशी प्रेमचन्द मेरे प्रिय साहित्यकार हैं । हरिशंकर परसाई, शरत जोशी मेरे प्रिय व्यंग्यकार हैं । मैं मूलतः बंगाली हूं पर वर्तमान में भोपाल मध्यप्रदेश निवासी हूं । हृदय से हिन्दुस्तानी कहलाना पसंद है । ईमेल- [email protected]