कविता

फूलों की कविता-21

 

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21. ऋतु बसंत का भ्रम है होता

 

हमको लगा तरु जल-सा रहा है,

जग कहता गुलमोहर ये प्यारे।

लाल सुमनों से पेड़ सजा है,

जैसे नभ को सजाएं तारे॥

कभी-कभी पर इन फूलों का,

सरसों-सा पीला रंग होता।

सच मानो तब सब लोगों को,

ऋतु बसंत का भ्रम है होता॥

 

इसी के साथ समाप्त होती हैं फूलों की 21 कविताएं. प्रस्तुत है ई. बुक फूलों की कविताएं का लिंक-

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फूलों की कविता-21

  • लीला तिवानी

    आशा है आपको फूलों की 21 कविताओं के संदेश और ई.बुक पसंद आए होंगे. आप कामेंट्स में अपने विचार प्रेषित कर सकते हैं.

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