शीर्षक – करवा चौथ
आज चाँद थोड़ा भाव खाएगा
अपने आप पर इठलाएगा ।
जब लाखों सुहागिनें सज धज कर
उसके दीदार के लिए बेसब्र होगीं ।
तभी तो चांद को अपने
चांद होने पर नाज आएगा ।
वैसे तो मैं सदा ही खुश रहकर
दूसरों को बाँटता हूँ खुशियाँ,
पर आज की खुशी
अद्भुत और निराली है,
क्योंकि सारे जग ने
आज मुझ पर ही नजर डाली है ।
सभी सुहागनों को देता हूँ वरदान
सदैव स्वस्थ और अमर रहे ,
उनका प्यारा हमदम हमसफर ।
रहो प्यार से दोनों मिलकर,
बनो एक दूसरे का सहारा ।
हर दिन हो सोने सा उजला ,
राते हो चांद सितारों सी।
जीवन में खुशियाँ बनी रहे ,
बहती नदिया की धारा सी
— निशा गुप्ता
तिनसुकिया असम