गीतिका/ग़ज़ल

साहिबे दस्तार होने चल दिए

साहिबे दस्तार होने चल दिए
फूल भी अब ख़ार होने चल दिए

यूँ बने रिश्ते तिजारत, आपसी
मस’अले अख़बार होने चल दिए

भावनाएं इस कदर बिकने लगीं
धर्म भी बाज़ार होने चल दिए

वो जिन्हें औजार बनना था, उन्हें
क्या हुआ हथियार होने चल दिए

जब सुना जलवा तुम्हारे हुस्न का
डाॅक्टर बीमार होने चल दिए

जो कहानी में कहीं थे ही नहीं
लोग उपसंहार होने चल दिये

लोग धर्मों के बहाने प्रेम की
राह में दीवार होने चल दिए

पार हद जब नफ़रतें करने लगीं
गीत मेरे प्यार होने चल दिए

सतीश बंसल
२८.१०.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.