विविधहास्य व्यंग्य

हास्य व्यंग्य……..हवा खाईये…

‘‘हवा खाईये”

शीर्षक पढ़्कर घबरा  तो  नहीं  गये,घबराईये  नहीं ,हम  तो  आपको  सुबह  की  ताजी ताजी मधुर मधुर , भीनी भीनी माटी सुगंधित हवा खाने  की बात  कह रहे  है |

आप क्या समझें, कहीं हम आपको हवालात या पागलखाने  की हवा खाने को तो नहीं कह रहें हैं|

अरे नहीं जनाब, बात यूँ है कि हमारे एक पडोसी है, वैसे पडोसी कम अपने ज्यादा हैं, क्योंकि काम के वक्तों को छोडकर सारा दिन – रात हमारे ही घर में अपनी खटिया तोडते रहते है और अगर हड़ताल या छुट्टी का दिन हो तो ज्यादातर ये होता है कि हम सब उनके और वो हमारे घर नज़र आते  हैं| खास तौर से  हम वो भी  सुबह के समय| वो कारण क्या है जी कि उन्हे एक बीमारी है, वैसे तो वो एक “विक्रय प्रतिनिधि यानि सेल्सनैन हैं, आप सब तो समझ सकते है कि एक विक्रय प्रतिनिधि यानि सेल्समैन को अपना प्रोजेक्ट बिकवाने के लिए कितना बोलना पड़ता है ,अगर अहीं बीमारी होती तो एक बात थी उन्हे तो बोलने के साथ – साथ ज्यादा चलने की भी बीमारी हैं| अब उनकी इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता था लेकिन क्या करें…. किसी भी शहर का मार्केट सुबह चार बजे तो खुला नहीं रहता वर्ना वो सुबह सुबह ही अपना माल बेचने चल पड़ते , अब उनके किसी मित्र  ने  बता  दिया कि  वे  सुबह के  वक्त  टहला करे यानि आप  समझ  गये  न…… माँर्निंगवाँक…. यानि सुबह – सुबह की ताजी  हवा खाना |

आप सोच रहें  होंगे कि चलो लेखिका को सुबह-सुबह तो उस पडोसी से  छुट्टी मिली —– अरे  नहीं, ऐसो हमरी तकदीर कहाँ !

 मुशीबत तो ये है कि वे सुबह- सुबह  ही हमरे घर  आ  धमकते है  कि भई चलो, हमारे  साथ और लो  आनंद  सुबह की  ताजी –ताजी हवा  का|

अब  अगर  वो  सिर्फ इतना  ही  कहते  तो  ठीक था लेकिन आदत के मुताबिक  वो या उनकी ज़बाव कैंची की तरह चलती रहती है|  इस झंझट से छुटकारा पाने के लिए हमारे  पति महोदय तो उनके साथ निकल पड़ते हैं… लेकिन सच पूछो तो दस मिनट बाद ही उन्हें किसी और के  साथ  फ़ँसा कर घर लौट आते हैं|  

एक बात तो जरुरी है हमें सुबह की ताजी ताजी हवा खाने से कोई शिकायत नहीं है यदि खिलाफ़त है तो वो है सुबह- सुबह उठने से अगर यहीं सुबह की हवा दोपहर मे या शाम को मिले तो हम बड़े शौक से खायें|

हाँ तो पाठको से निवेदन है कि धीरे- धीरे पढ़े नहीं तो सब हवा हो  जायेगा क्योकि बत भी हवा के जोरों से लिखी जा रही हैं , वह भी सुबह की हवा| सुबह की हवा खाऐं शौक से खाइये परंतु हमारे द्वारा कही बातों पर ज़रा गौर फ़रमाइये, हवा की तरह मत खा जाइये|आखिर सुबह की हवा क्यों खाये, क्या हैं उसमे? जरुर उस आदमी का दिमाग खराब है उसे तो सुबह की नहीं पागलखाने की हवा खानी चाहिये|

असली सोना तो सुबह का सोना है जबकि  आप सोते भी नही जागते भी नही, पडे‌ – पड़े गोतेखाते रहते हैं| सोने और जागने के उस संगम पर आप सपने देखते रहतेहै….. कहीं आप फ़िल्म मे हीरों हैं तो कहीं आप हज़ को या तीर्थ यात्रा को जा रहें है, ऊपर वाला आपकी हर तमन्नाओं को पूरा कर रहा हैं, कही आपके घर लक्ष्मी झपड फाड कर उतर आयी और आपके अच्छे दिन आ गये है , कहीं आप जज हैं तो कहीं आप चोर भी हो सकते हैं  या  कहीं आपको आई-फोन की लाँटरी लगी हैं …और किसी दिन सूरज पश्चिम से उगे तो हमारे पडोसी साहब सुबह सोते वक्त सपने देखेंगे कि वो एक दिन में लाखों पेटियों की रिटेलिंग कर रहें हैं, और हमारे जैसी लेखिकायें अपने लेखन पर दर्शकों की वाह-वाह लूट रही हैं और क्या-क्या बतायें आप तो खुद ही सपनों मे डुबते होंगे बर्शते कि सुबह की हवा न खाते हों | पर मुश्किल यह हैं कि सुबह की हवा सुबह मिलति है और वह हमारे सोने का वक्त है और उस वक्त यदि कोई हमें जगाता है तो दिल करता है सुबह की हवा खाने से पहले उस आदमी को ही खा जाऊँ | सोने का मज़ा तो सूरज  निकलने के बाद है, तभी तो हम निश्चिंत एवं बेफिक्र   होकर सोते है तभी आप कहते है हमारा मतलब है  आप  नही  हमारे  पडोसी  साहब  उठो  और  घूमने  निकल जाओ ..क्या हम बेघर है या हमें कीड़े काटते है अपने घर  में, क्यों भई क्यों  निकल जाये…. हमें  तो  लगता है जिनके दिल  का कोई  चाल-चालन या दिमाग का  कोई पेंच ढीला  हो  वही सुबह  की हवा खाते  हैं या वे  खाते  हो जिन्हे   कुछ पचता न हो…

क्या आपने  किसी पहलवान  को या  तंदरूस्त  आदमी को सुबह की  हवा  खाते देखा है .. वह  तो रबड़ी- मलाई खाता है और तानकर दिन चढ़े तक सोता है|

हमारा तो  यही कहना  है कि भई इंसान सुबह क्यों न सोये उसे क्या पागलकुत्ते  ने  काटा है  जो पागलों की तरह  आधी रात को मुँह अंधेरे  सड़क पर डोलता फिरे , यदि  कहीं रास्ते  में  सचमुच  का कोई पागल  कुत्ता  मिल  गया जिसकी  इस शहर  में कमी  नहीं है तो पेट में मोटी- मोटी चौदह सूईयाँ भोकवानी  पडेगी … अजी इसमे क्या शक  है  कि ये  सूईयाँ अच्छी तो होती  है  लेकिन तभी जब  ये  दूसरे के  पेट  मे चूभ रही हो|

एक दूसरी मुशीबत तो यह है  कि  सुबह  की हवा खाने की तरह  नहीं खा सकते वर्ना खिड़की तो खुली रहती  है|

बुरा हो  उन मुर्खो का यानि  आप  समझ  गये होंगे  जिन्होने  पहली  बार  सुबह उठने का राग  अलापा जरूर वह  भी  हमारे  पडोसी की तरह विक्रय प्रतिनिधि  रहा होगा  या फिर   शायद हमारी तरह  लेखक  रहा  होगा |  

नसरीन अली निधि”

श्रीनगर , जम्मू और कश्मीर

9906591662,7006692361

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नसरीन अली 'निधि'

1. पिता : बृजपाल दास पारिख 2. जन्म: 10 नवम्बर 1969 3. जन्म स्थान: कलकत्ता 4. शिक्षा: स्नातक ( कला ) कलकत्ता विश्वविद्धालय 5. भाषा ज्ञान: हिंदी, अंग्रजी, उर्दू, पंजाबी, बंगाली, गुजराती एवं कश्मीरी 6. नागरीकता: भारतीय परिचय: कलकत्ता विश्वविद्धालय से शिक्षित, संस्कृति से गुजराती , जड़ से गुजरात एवं बनारस से जुड़ी , पिछले 22 सालों से अपनी कर्मभूमि कश्मीर श्रीनगर में समाज सेविका का जीवन बिता रही सुश्री नसरीन अली “निधि” ( कवियत्री एवं लेखिका ) का जीवन हिंदी भाषा एवं हस्त कला को समर्पित हैं| अनुभव;-  22 सालों से रेडियो कश्मीर श्रीनगर में हिंदी एवं उर्दू भाषाओं में कार्यकम करने का अनुभव...  पिछले 10 सालों से रेडियो कश्मीर श्रीनगर के हिंदी विभाग में कम्प्युटर आँपरेटर के पद पर आसीन..  पिछले 5 सालों से इसी कार्यालय के पंजाबी विभाग के कार्यक्रमों की साउंड इनजीनियर के रुप में कार्यरत...  दो सालों का कश्मीर घाटी के एक निजी टेलिविजन “ वादी टेलिविजन “ में हस्त कला एवं पाक कला में कार्यक्रम देने का अनुभव हस्त कला के क्षेत्र में एक सफल प्रशिक्षिका के रुप में कार्य करने का अनुभव  मातृ मेहरबान वोमेंस एंड चाइल्ड डेवलपमेंट वेलफेयर इनस्टीयूट , मिसकीन बाग, श्रीनगर  आनगंवाडी ट्रेनिग सेंटर , मिसकीन बाग...श्रीनगर  गवर्मेंट पाँलिटैक्निक फाँर वोमेंस , बीमना श्रीनगर  SKAUST-K Division of Floriculture , Medicine and Aromatic plants Srinagar …  Jammu & Kashmir Entrepreneurship Development Institute ( J&K EDI) विशेष :  “वादीज़ हिंदी शिक्षा समिति” श्रीनगर ( रजि.) की अध्यक्ष महोदया एक स्वैछिक संस्था (N G O ) जो हिंदी के विकास, प्रचार- प्रसार , उन्नति के लिए कार्यरत......  नसरीना क्लासिक्स प्राइवेट लि. (रजि.) (को ओपरेटिव सोसायटि) की अध्यक्ष महोदया एक ऐसा यूनिट जहाँ हस्त एवं पाक कला की शिक्षा के साथ साथ हस्त शिल्प कलाओं का उत्पादन कर, बेरोजगार एवं अनपढ़ महिलाओं को रोजगार देने का अभियान चालाया जाता हैं.......  मातृ भाषा उन्नयन परिषद इंदौर ( रजि.) संस्था की श्रीनगर क्षेत्र की प्रदेश अध्यक्ष महोदया सम्मान : रेडीयो कश्मीर श्रीनगर द्वारा एक सफल कवियत्री ,श्रीनगर दूरदर्शन केंद्र द्वारा एक सफल हिंदी उद्घोषक के रुप मे , कई स्वैछिक संस्थानों द्वारा सम्मानित पर विशेष सम्मान हिंदी के प्रचार –प्रसार एवं उन्नति के कार्य के लिए जम्मू और काश्मीर के महाराजा डाँ करण सिहं द्वारा दिया गया “साहित्य भूषण सम्मान “ भ्रमण भाष: + 91- 9906591662, 7006692361, 9419624129, अणुडाक: [email protected] अणुडाक : http//www.wadieshindi.com/wp-admin/ पता:- नसरीन अली ,चिंक्राल मोहल्ला, हब्बा कदल , श्रीनगर जम्मू और काश्मीर,