स्वच्छता के दीप जले
दीप जले सदभाव के ऐसी ये दीवाली हो।
घर घर रोशन हो सारे ऐसी ये दीवाली हो।।
शिक्षा के आलोक में देश के ननिहाल पले।
मिटे अज्ञान अंतर्मन से ऐसी ये दीवाली हो।।
स्वच्छता के दीप जले स्वच्छ गाँव ढाणी हो।
मच्छर पनपे नहीं कोई ऐसी ये दीवाली हो।।
राग द्वेष नफरत मिटे प्रेम व भाईचारे पनपे।
एक दूजे की मदद करे ऐसी ये दीवाली हो।।
देश सेवा के सिवाय न कोई मन मे जुनून हो।
भाईचारे के दीपों से जगमग ये दीवाली हो।।
जाति धर्म की बातें झूंठी इंसानियत धर्म हो।
आदमी से आदमी मिले ऐसी ये दीवाली हो।।
एकता के सूत्र में बंधे हम सब मिलकर भाई।
कोमी एकता के दीपों से सजी ये दीवाली हो।।
— कवि राजेश पुरोहित