गीत रचना – स्वप्न किया साकार
देश समूचा सदा मानता, जिनका ये आभार ।
हुआ न बल्लभ भाई जैसा, लौह पुरुष सरदार ।।
भारत में थी कई रियासत, राजा हुए अनेक।
राज-पाट त्यागे सब राजा, देश बने तब एक।
विलय कराने सभी राज्य को, सबसे किया करार ।
हुआ न बल्लभ भाई जैसा, लौह पुरुष सरदार।।
लोकतंत्र लाना भारत में, लिया हृदय संकल्प।
करें समर्पण राजा सारे, दूजा नही विकल्प ।।
सर्व सम्पन्न गणराज्य बने, इसका ये आधार ।
हुआ न बल्लभ भाई जैसा, लौह पुरुष सरदार।
राज्य समर्पण कौन कराये, डालें कौन नकेल।
लौह पुरुष ने किया काम ये, कहते उन्हें पटेल।।
प्रजातन्त्र लाने भारत में, स्वप्न किया साकार ।
हुआ न बल्लभ भाई जैसा, लौह पुरुष सरदार।।
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला