मेरी याद
रोज़ की तरह ही वह बूढा व्यक्ति किताबों की दुकान पर आया, आज के सारे समाचार पत्र खरीदे और वहीँ बाहर बैठ कर उन्हें एक-एक कर पढने लगा, हर समाचार पत्र को पांच-छः मिनट देखता फिर निराशा से रख देता।
आज दुकानदार के बेटे से रहा नहीं गया, उसने जिज्ञासावश उनसे पूछ लिया, “आप ये रोज़ क्या देखते हैं?”
“दो साल हो गए… अख़बार में मेरी फोटो ढूंढ रहा हूँ….” बूढ़े व्यक्ति ने निराशा भरे स्वर में उत्तर दिया।
यह सुनकर दुकानदार के बेटे को हंसी आ गयी, उसने किसी तरह अपनी हंसी को रोका और व्यंग्यात्मक स्वर में पूछा, “आपकी फोटो अख़बार में कहाँ छपेगी?”
“गुमशुदा की तलाश में…” कहते हुए उस बूढ़े ने अगला समाचार-पत्र उठा लिया।