मैं बेस्ट तो नही मगर..
मैं कहीं भी बेस्ट तो नही हूँ, पर मैं ‘मैं’ हूँ,
बचपन मेरा बेस्ट न सही पर बेटी अच्छी हूँ,
मम्मी पापा के चेहरे पर मेरे लिए गर्व ही एवार्ड है मेरा
और ये भी है कि भूत को सोचूंगी ज़्यादा तो वर्तमान कैसे संवारूँगी
बेस्ट हाउसवाइफ न सही पर वाइफ अच्छी हूँ,
घर की धूल को सोचूंगी ज्यादा तो ख़ुद धूल हो जाऊँगी,
पति के चेहरे की सुकून भरी मुस्कान ही एवार्ड है मेरा
खाना भी ठीक ठाक ही बनाती हूँ,
तरला दलाल से मैं क्या मुकाबला करूँ
अपने बच्चों की तारीफ़ को ही एवार्ड समझती हूं,
शौपिंग में घंटों नही बिता सकती,
ब्रांडेड कपड़े और गहनों से
ख़ुद को बेस्ट क्या साबित करूँ मैं
बस अपनी मुस्कान से ही ख़ुद को सजाती हूँ
नही है हुनर मुझमे सब को खुश रखने का,
पर किसी का दिल नही दुःखा कर
मैं ख़ुद को ख़ुश रख लेती हूँ..
— सुमन शाह “रूहानी”