“छंद चामर”
छंद – चामर, शिल्प विधान- र ज र ज र, मापनी – 212 121 212 121 212 वाचिक मापनी – 21 21 21 21 21 21 21 2
“चामर छंद”
राम- राम बोलिए जुबान मीठ पाइकै।
गीत- मीत गाइए सुराज देश लाइकै।।
संग- संग नाव के सवार बैठ जाइए।
आर- पार सामने किनार देख आइए।।
द्वंद बंद हों सभी बहार बाग छाइयै।
फूल औ कली हँसें मुखार बिंदु पाइयै।।
डाल-डाल वृक्ष की निहार नैन जाइयै।
भोर-शोर पंछियाँ दुलार वैन गाइयै।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी