ग़ज़ल
देश हमारा हमको जां से प्यारा है।
झण्डा अपना नूर नज़र का तारा है।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई है सबका,
सबने मिलकर इसको रोज़ संवारा है।
दुस्साहस जिसने भी आकर दिखलाया,
चुनचुन कर सरहद पर उसको मारा है।
पाक जवानों याद करो इतिहास ज़रा,
जंग नहीं भारत कोई भी हारा है।
सोचग़लतरख आना इसकी जानिबमत,
यूँ तो अपना सबसे भाईचारा है।
आँखउठे दुश्मनकी इसकी जानिब जब,
ज़र्रा ज़र्रा तब इसका अंगारा हैे।
उकसाने पर भाग न पाओगे बचकर,
अम्न सुकूं का यूँ तो ये गहवारा है।
— हमीद कानपुरी