दशहरा
आज हमारे देश में सभी जगह दशहरा का त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है सभी लोग मानते है कि दशहरा के दिन रावण तथा कुम्भकर्ण का पुतला बनाकर जलाया जाता है ताकि हमारे समाज में जो बुराइयाँ समाहित है वे बुराइयाँ कम से कम इन लोगों का पुतला जलाने से ही खत्म हो जायेगी ऐसा हमारा समाज स्वीकारता है लेकिन क्या इस प्रयोग में समाज को सफलता मिली ? यदि सफलता प्राप्त हो गयी है तो ये प्रत्यच्छ रूप से हमे दिखाई क्यों नहीं दे रहा है ?
और यदि समाज में व्याप्त बुराइयाँ अभी तक निकल नहीं सकी हैं तो हम लोग अभी तक चुपचाप इन बुराइयों में शामिल क्यों हो रहे हैं?
आइये हम सब इन सभी प्रश्नों का जवाब तलाशने की कोशिश करते है ,
हमारा भारतीय समाज विविधता से भरा हुआ है और हम सब इसी विविधता में एकता को मजबूत करने में लगे रहते है हमारा समाज संगठित तो होता है लेकिन इस संगठन में कुछ न कुछ स्वार्थ छिपा होता है और यही स्वार्थ कहीं न कहीं रावण का रूप ले लेता है जो हमारे समाज को टुकडो टुकडो में बांटता रहता है और समाज के इन्हीं बंटे टुकडो को संगठित करने के लिये राजनयिक के रूप में राम का जन्म होता है जो समाज में व्याप्त बुराइयों को जड़ से खत्म करने की कोशिश करता है और इसी तरह से हमारा समाज एक सुव्यवस्थित एवं संगठित समाज बनकर उभरता है जिसमें सबका साथ सबका विकास के लछ्य को रखा जाता है ।
दशहरा का त्योहार प्राचीन काल से आज तक हमारे देश में प्रत्येक साल मनाया जाता है और बुराइयों से अच्छाइयों में विजय प्राप्ति के लिये पुतलों को जलाया जाता है लेकिन आज भी हमारे समाज में दूर दूर तक अच्छाइयां नजर नहीं आ रही है लोग एक दूसरे से प्रतियोगिता करके सबसे आगे निकलने की कोशिशें कर रहे है चारो तरफ अमीरी और गरीबी की खायी पटी हुई है वर्ग संघर्ष के कारण हमारे समाज में सिर्फ आर्थिकी को महत्व दिया जा रहा है जिसके प्रभाव से हमारे समाज की परंपरागत छवि धुंधली होती जा रही है समाज मे एक तरफ महिलाओं को सम्मान देने की बात होती है वहीं दूसरी तरफ महिलाओं के सम्मान से खेला जा रहा है जैसा कि विदित है हमारा समाज विविधता से भरा हुआ है इसलिये सभी लोगो को संगठित करने के लिये किसी निर्णय को बेलेंस बनाकर लागू किया जा सके जिससे की दोनो पक्षों का हित हो सके ।
समाज की दशा को सुधारने के लिये हमारा संविधान बनाया गया और लोकतंत्र को खड़ा करने करने लिये चार स्तम्भ बनाये गये कार्यपालिका व्यवस्थापिका न्यायपालिका तथा मीडिया , ये स्तम्भ अपनी जगह बहुत मजबूत है लेकिन जब इनपर असीमित बोझ डाल दिया जायेगा तो अपने आप उनकी स्थिति डगमगा जायेगी और यही कारण है कि आज हमारा लोकतंत्र मजबूत होने के बजाय कमजोर होता जा रहा है ।हमारे देश का प्रशासन जनता के हित के लिये सभी उपयुक्त कदम उठाता है लेकिन ये कदम ठीक जगह पहुँच नहीं पाते और इसलिये भ्रष्टाचार बढता है जो विकास के लिये बहुत ही हानिकारक बीमारी सी बन जाती है
इसलिये हमारे समाज में अच्छाइयां होते हुये भी हम बुराइयों से ग्रसित हैं ।
हम लोग रावण को जलाकर बहुत खुश होते है सबसे गले मिलते हैं वो भी कुछ ही छण के लिये अगर यही स्थिति हमेशा के लिये ऐसी ही हो जाये तो हमें न ही प्रशासन की जरूरत पड़ेगी और न ही किसी लोकतंत्र की । हम अपने आप विकसित हो जायेगे हमारी परंपराये भी जीवित रहेंगी तथा सभी को सबके बराबर का अधिकार भी मिलेगा ।
दशहरा का मूल उद्देश्य उस दिन पूरा होगा जिस दिन हमारे समाज की सभी बुराइयाँ खत्म हो जाये उस दिन हम अपने राज्य को राम राज्य घोषित कर देंगे और मुझे उम्मीद है कि हम सब वैकुण्ठ जरूर जायेंगे
रावण कोई बुरा व्यक्ति नहीं था वह एक महान विद्वान योद्धा था वह राम से भी अच्छा था लेकिन कहीं न कहीं बुरा जरूर था इसलिये उसको राम से पराजित होना पडा क्योकि उस समय भी वर्ग संघर्ष तथा महिलाओं के सम्मान का मुद्दा उठा होगा इसलिये हम सबको उस समाज के इतिहास को वर्तमान के भविष्य में जोड़कर शोध करके निष्कर्ष करना चाहिये ताकि दोबारा वही राम रावण युद्ध न हो सके ।
ओम नारायण कर्णधार
ग्राम केवटरा पोस्ट पतारा
जिला हमीरपुर उत्तर प्रदेश