सामाजिक

आरक्षण में प्रमोशन

आजकल हमारे देश में आरक्षण के प्रति इतना बोलबाला , इतनी उत्सुकता हो रही है कि हम अपने मूल कर्त्तव्यों को भूलकर सिर्फ आरक्षण के लिये जिंदगी को बरबाद कर रहे है और इस आरक्षण के प्रभाव से हम अपनी कार्यकुशलता को भी खो रहे है ,
क्योंकि हमें पता है , कि हमें आधा कार्य करने का पूरा मेहनताना तो मिलेगा ही और साथ ही कार्य भी कम करना पडेगा इसीलिये आज पूरे देश में आरक्षण के विरोध में हल्लाबोल मचा हुआ है ,
लोगो को प्रमोशन में आरक्षण क्यो मिले, क्या अभी भी उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है , यदि निम्न वर्ग की आर्थिक स्थिति अभी कमजोर है , तो क्या आरक्षण के तहत प्रमोशन हो जाने से उसकी आर्थिक स्थिति ठीक हो जायेगी ?आरक्षण तो इसलिये लाया गया था , कि जो बेहद कमजोर वर्ग है उनको सबके साथ बराबर का अधिकार दिलाया जाये न कि इसलिये कि वह निम्न वर्ग उच्च होकर भी आरक्षण का लाभ उठाये।

प्रमोशन में आरक्षण क्यों मिले –
• हमारे देश में आरक्षण के लिये बहुत दौडे दौडी जा रहीं हैं लेकिन आरक्षण मिल जाने से अपने ही देश का नुकसान होगा , जहाँ उच्च वर्ग तथा निम्न वर्ग दोंनो एक साथ काम करते है , वहां दोंनो वर्गों की कार्यकुशलता बराबर मापी जाती है , कोई वर्ग किसी वर्ग से कमजोर नहीं होता है , फिर ऐसे में निम्न वर्ग को आरक्षण क्यों मिले ?यदि ऐसा होता है तो वहां वर्ग संघर्ष उत्पन्न हो जायेगा और कार्य करने की स्थिति बेहद खराब हो जायेगी ,
• यदि साथ में दोंनो वर्ग एक साथ काम करते है तो निम्न वर्ग को इसलिये प्रमोशन में आरक्षण दिया जाता है कि निम्न वर्ग , उच्च वर्ग से कार्यकुशलता में पीछे है और निम्न वर्ग को उच्च वर्ग के बराबर करने के लिये उसे आरक्षण के तहत प्रमोशन दे दिया जाता है, यहाँ ये कदम बहुत ही खतरनाक है क्योंकि यदि ऐसा होता है तो निम्न वर्ग जिसकी कार्यकुशलता उच्च वर्ग से कम है ,वहां की सारी कमान निम्न वर्ग के हाथ में आ जाती है जिससे वहां का सारा कार्य प्रभावित होता है और अपने देश की अर्थव्यवस्था को भी बहुत बुरा असर भुगतना पडता है जो आज के दौर के लिये बेहद खतरनाक है ।
• हमारे संविधान में पिछडी हुई जातियों के लिये कुछ प्रावधान दिये गये हैं क्योंकि स्वतंत्रता के बाद कुछ ऐसी परस्थिया हमारे सामने थी , जिसके कारण संविधान बनाने वाले को पिछड़ी हुई जातियों को आरक्षित करना पडा ,लेकिन संविधान के अनुच्छेद 15(1) में केवल राज्य के निवासी मूलवंश , जाति , धर्म, के मूल निवासियों को उसी राज्य के किसी व्यक्ति से विभेद नहीं जायेगा यह अधिकार सिर्फ उस राज्य के व्यक्ति को दिया गया है जबकि वहां दोनों व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार तथा समान दर्जा दिया जायेगा ।
• वहीं अनुच्छेद 15(2) में राज्य तथा व्यक्ति दोनों को उस राज्य के निवासी धर्म , मूलवंश , जाति को किसी व्यक्ति से विभेद न करने का अधिकार व्यक्ति तथा राज्य दोनों का है यह अनुच्छेद राज्य के सभी पिछड़े वर्गों को बराबर सभी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं और किसी भी व्यक्ति के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया जायेगा , ये प्रावधान समाज में व्याप्त छुआछूत को दूर करने के लिये किया गया है राज्य से मिली सभी सहायताये जो समाज के सार्वजनिक उपयोग के हेतु समर्पित हैं,ये सभी प्रावधान अनुच्छेद 15(2) में दिये गये हैं ।
• यदि प्रमोशन में आरक्षण की पद्धति इसी तरह से आगे बढती गयी तो वो दिन दूर नहीं है जब हम अपनी कुशलता तथा बुद्धिमत्ता की भीख न मांगे , क्योंकि हमने सभी कार्यकुशल व्यक्तियों को पीछे बैठा कर अकुशल व्यक्तियों को कमान जो थमा दी है ,अब वही अकुशल व्यक्ति देश की सारी व्यवस्था को सुव्यवस्थित बना देगें,
• आज पूरे देश में जहाँ एक तरफ आरक्षण की मांग हो रही है वहीँ दूसरी तरफ आरक्षण के लिये विरोध किया जा रहा है और इन दोनो वर्गों मे बहुत बडा एक वर्ग संघर्ष उत्पन्न हो गया जो कभी न थमने वाला है लेकिन फिर भी हमारी सरकारें इस वर्ग संघर्ष के प्रति कोई कार्यवाही नहीं कर रहीं है और कार्यवाही करती भी हैं तो अपना वोट बैंक बढाने के लिये , मेरे विचार से ऐसी राजनीति करने से हम देशवासी किसी न किसी बेड़ियों से जकड़े ही रहेंगे , हमारी सरकार को ऐसी राजनीति करनी चाहिये जिससे हमारे राष्ट्र की संप्रभुता ,अखंडता तथा एकता को कोई ठेस न पहुंचे , क्योंकि यह बात संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्वों को दर्शाती है इसलिये हम देशवासियों का पहला कर्तव्य यह है कि अपने देश की रक्षा तथा संप्रभुता, अखंडता और एकता को हमेशा बनाये रखे जो हमें तथा हमारे देश को गौर्वान्वित करती है ।
जबसे आरक्षण में प्रमोशन आया है तबसे हमारा देश आगे बढने की बजाय पीछे पिछड़ रहा है और देश की सामाजिक , आर्थिक तथा सांस्कृतिक स्थितियां कमजोर हो रही हैं चाहे पुलिसिंग व्यवस्था हो या कोर्टरूम , प्रशासन की बात करें या सुशासन की
सभी जगह आरक्षण की वजह से सभी स्थितियाँ शून्य हो रही हैं जहाँ आरक्षण के कारण पुलिस को बिना अनुभव के प्रमोशन दिया जाता है वहीं कोर्ट में बिना अनुभव के ऐसे जजों की नियुक्ति की जाती है जो केस को सुलझाने की जगह उस केस को उलझा देते हैं ।
इसलिये यदि देश की सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाना है तो पूरे आरक्षण की जगह , आरक्षण का एक निश्चित समय दे दिया जाये , जब तक दोनों वर्गों में समानता न आ जाये , जैसे ही आरक्षित वर्ग समानता की स्थिति में आ जाये उस वर्ग का आरक्षण खत्म कर देना चाहिये ।

एक तरफ जहां प्रमोशन में आरक्षण लाना निम्न वर्ग को समान दर्जा दिलाता है वहीं अकुशल व्यक्तियों की होड़ सी लग जाती है और देश की सारी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है
लेकिन वहीँ जहां आरक्षण में प्रमोशन का विरोध हो रहा है वहाँ पर भी उच्च वर्ग की कुछ न कुछ मांगें जरूर हैं क्योंकि उच्च वर्ग जानता है कि निम्न वर्ग को आरक्षण मिलने से उनके सम्मान को ठेस पहुँची है इसलिये उच्च वर्ग आरक्षण के लिये हमेशा से विरोध करता आया है फिर भी यदि उच्च वर्ग की मांगें मान भी ली जाये , तो क्या उच्च तथा निम्न वर्ग के बीच जो वर्ग संघर्ष की दीवार है , वह हमेशा के लिये टूट जायेगी , नहीं ।
इसलिये हमारी सरकार को अवलोकन तथा लोगों के बीच जाकर सभी परिस्थितियों का वर्गीकरण करके निरीक्षण, परीक्षण तथा बाद में निष्कर्ष पर जाना चाहिये , आज राजनीति में विशेषज्ञों की कमी नहीं है लेकिन कमी है सिर्फ उनके नजरिये में,
सरकार को राजनीति के अनुसार निम्न वर्ग को तब तक आरक्षण देना चाहिये जब तक वह उच्च वर्ग के समान न हो जाये , जैसे ही निम्न वर्ग उच्च वर्ग के समान आ जाये उनका आरक्षण खत्म कर देना चाहिये ,
कार्यकुशल लोगों को ही प्रमोशन दिया जाये जिससे हमारे देश में कुशलता की पैदावार हो ।
और इसी नीति के द्वारा हमारे देश की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति मजबूत होगी जो देश को समृद्धशाली बनायेगा।

ओम नारायण कर्णधार

पिता - श्री सौखी लाल पता - ग्राम केवटरा , पोस्ट पतारा जिला - हमीरपुर , उत्तर प्रदेश पिन - 210505 मो. 7490877265 ईमेल - omnarayan774@gmail.com