हास्य व्यंग्य

 पड़ोसन की मी टू

आजकल ‘मी टू’ का कहर किसी सुनामी से कम नहीं, जिसने हमारे जैसे किसी भी बेहद ही शरीफ और संवेदनशील मर्द के बच्चे को, जिसने कभी धोखे से भी स्कूल, कॉलेज या ऑफिस के दिनों में या अपने पास-पड़ोस या रास्ते में आते-जाते किसी खूब/कम सूरत/सीन बला/अबला को छू लिया हो, या घूर कर देख लिया हो, उनकी नींद हराम कर रखा है। अब तो हमारे जैसे भले लोग बहुत ही एलर्ट हो गए हैं। हम तो अपना वर्तमान और भविष्य दोनों ही सुरक्षित करने का प्रण ले चुके हैं, परंतु इतिहास का क्या करें? वह है कि हमारा पीछा ही नहीं छोड़ रहा है। आलम यह है कि रात को कई बार हड़बड़ाकर उठ बैठते हैं; परंतु बगल में खर्राटे भर रही श्रीमती जी को देखकर तसल्ली होती है कि हमारी वह शराफत अभी तक कायम है, जिसके कपोल कल्पित दर्जनों कहानियाँ सुनाकर उससे डेढ़ दशक का साथ निभवा चुके हैं। पिछले कुछ दिनों में जब कई छोटे-बड़े नेता, अभिनेता, कवि, लेखक, व्यापारी पर ‘मी टू’ का अटैक होने लगा, तो हमारा भी ब्लड-प्रेशर बढ़ना स्वाभाविक था। आफ्टरआल हम भी उतने शरीफ तो हैं नहीं, जितना कि दिखते हैं। बहुत सोच-विचार कर एक शाम हमने अपनी धर्म-पत्नी जी से इस संबंध में पूछ ही लिया, “डार्लिंग, मान लो कल के दिन कोई भी महिला यदि मुझ पर मी टू का आरोप लगाती है, तुम क्या करोगी?” वह हँसते हुए बोली, ”मी टू’ और आप। सकल देखी है अपनी। लल्लू कहीं के…” “देखो डार्लिंग मैं सीरीयसली पूछ रहा हूँ। आजकल जैसा माहौल चल रहा है, कोई भी कुछ भी आरोप लगा सकता है।” “अव्वल तो ऐसा कुछ होगा नहीं। और यदि होगा भी, तो मैं हमेशा आपके साथ खड़ी रहूँगी। शादी की है मैंने आपसे। सात जन्मों का बंधन है हमारा। यूँ ही थोड़े न साथ छोड़ दूँगी।” उसने आश्वस्त किया। कसम से, सीना छप्पन तो क्या, एक सौ बारह इंच चौड़ा हो गया। सीने से लगा लिया उसे। बातों ही बात में कब नींद की आगोश में आ गए, पता ही नहीं चला। सुबह हमारी खूबसूरत पड़ोसन मिसेस रॉय की ‘मी टू’, ‘मी टू’ और श्रीमती जी की रोने-धोने की आवाज से नींद टूट गई। पहले तो लगा सपना है, पर नहीं इस बार सच सामने था। हमेशा की तरह खर्राटे भरने वाली हमारी अर्धांगिनी छाती पीट-पीट कर “हाय मैं लुट गई, बरबाद हो गई”, “मुझे तो पहले ही डाउट था”, “तभी मैं कहूँ कि पड़ोसी के बच्चे मेरे बच्चों जैसे क्यों दिखते हैं” “इसीलिए कल मीठी मीठी बातें कर रहे थे।” और भी ना जाने क्या-क्या? “चुप कर, कुछ भी बके जा रही है। शरम कर, बगल वाले कमरे में बच्चे सो रहे हैं।” मैंने उन्हें चुप कराने की कोशिश की। “क्यों चुप रहूँ मैं? अब तक चुप रही मैं, अब और नहीं।” श्रीमती जी उग्र रूप धारण करने लगी थीं। मैंने किसी तरह उसे बाथरूम में बंद किया और दरवाजा खोलने का निश्चय किया। इस बार मैं निश्चिन्त था क्योंकि मैंने कभी भी मिसेस रॉय, जो कि कॉलोनी की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक हैं, जिनकी ख़ूबसूरती देखकर मेरे जैसे बेहद ही शरीफ और संवेदनशील इंसानों का कलेजा मुंह को आ जाता है। वैसे मैंने उनसे जन्मदिन, नववर्ष, दिवाली, दशहरा, क्रिसमस जैसे तीज-त्योहारों पर बधाई और शुभकामनाएँ देते समय हाथ मिलाने के अलावा और किसी भी प्रकार से किस्मत नहीं आजमाया था। कारण यह कि मुझे अपनी सकल और औकात दोनों का अहसास है। खैर, मैंने हिम्मत करके दरवाजा खोल दिया। नाईट शूट में उन्हें बदहवास हालत में देखकर मेरा बी.पी. बढ़ना स्वाभाविक था। दरवाजा खुलते ही उन्होंने कहा, “शर्मा जी, हमारा पालतू तोता उड़कर आपकी बालकनी में पहुँच गया है। प्लीज आप उसे ला देंगे क्या? अभी वहाँ से ‘मीठू-मीठू’ की आवाज आ रही है।” “हाँ-हाँ क्यों नहीं, अभी लाया।” मेरी खुशी का ठिकाना न था। आरोप-मुक्त ही नहीं हुआ था पत्नी के सामने हमारी शराफत और दूध का धुले होने का एक और प्रमाण भी मिल गया था। पर इन सबसे ज्यादा खुशी कि बात ये थी कि अब तोते को पकड़कर सुबह-सुबह मिसेस रॉय की सुकोमल हाथों में सौंपने का स्पर्श सुख भी मिल रहा था। मेरा तो दिन बन गया था।

डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

*डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा

नाम : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा मोबाइल नं. : 09827914888, 07049590888, 09098974888 शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, राजनीति, शिक्षाशास्त्र), बी.एड., एम.लिब. एंड आई.एससी., (सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण), पीएच. डी., यू.जी.सी. नेट, छत्तीसगढ़ टेट लेखन विधा : बालकहानी, बालकविता, लघुकथा, व्यंग्य, समीक्षा, हाइकू, शोधालेख प्रकाशित पुस्तकें : 1.) सर्वोदय छत्तीसगढ़ (2009-10 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 2.) हमारे महापुरुष (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 10-10 प्रति नि: शुल्क वितरित) 3.) प्रो. जयनारायण पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 4.) गजानन माधव मुक्तिबोध - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 5.) वीर हनुमान सिंह - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 6.) शहीद पंकज विक्रम - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 7.) शहीद अरविंद दीक्षित - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 8.) पं.लोचन प्रसाद पाण्डेय - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 9.) दाऊ महासिंग चंद्राकर - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 10.) गोपालराय मल्ल - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 11.) महाराज रामानुज प्रताप सिंहदेव - चित्रकथा पुस्तक (2010-11 में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में 1-1 प्रति नि: शुल्क वितरित) 12.) छत्तीसगढ रत्न (जीवनी) 13.) समकालीन हिन्दी काव्य परिदृश्य और प्रमोद वर्मा की कविताएं (शोधग्रंथ) 14.) छत्तीसगढ के अनमोल रत्न (जीवनी) 15.) चिल्हर (लघुकथा संग्रह) 16.) संस्कारों की पाठशाला (बालकहानी संग्रह) 17.) संस्कारों के बीज (लघुकथा संग्रह) अब तक कुल 17 पुस्तकों का प्रकाशन, 80 से अधिक पुस्तकों एवं पत्रिकाओं का सम्पादन. अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादक मण्डल सदस्य. मेल पता : [email protected] डाक का पता : डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा, विद्योचित/लाईब्रेरियन, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम, ब्लाक-बी, ऑफिस काम्प्लेक्स, सेक्टर-24, अटल नगर, नवा रायपुर (छ.ग.) मोबाइल नंबर 9827914888