गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका – एक दीवाली ऐसी भी

रौशन करें चराग़ आज मुफ़लिस के घर में
उम्मीदों के गुल ख़िल जाएं उनके भी दर में
कुछ हम ऐसा करें दीवाली उनकी सज जाए
लगे चमकने तारे टिम टिम उनकी नज़र में
रंग बिरंगी फुलझड़ी कुछ आतिशबाजी हो
खुशियां मिलके फैलाएं हम उनके बसर में
नूर ख़िले उनके भी रुख़ पे आराईश ऐसा हो
यूं पूजा हो उठें दुआएं कल्बो जिगर में
बांह फैले भरोसे की, श्रृद्धा ले आए विश्वास
खुशियों के कारवां भी, आने लगे डगर में।
पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है