आओ इस दिवाली भारत को भारत बनाएँ।
निर्जीव सोने की चिड़िया को फिर से चहकाएं।
हो न कहीं अंधेरा भारतवर्ष में
आओ घर-घर में प्रेम की ज्योति जगाएं।
आओ इस दिवाली भारत को भारत बनाएं।
हो न कोई निरक्षर भारतवर्ष में
आओ घर घर में ज्ञान की ज्योति जलाएं।
आओ इस दिवाली भारत को भारत बनाएं।
न सोये कोई भूखा भारतवर्ष में
आओ मिल बांट कर हम भोजन को खाएं।
आओ इस दिवाली भारत को भारत बनाएं।
हो न कोई बेसहारा भारतवर्ष में
आओ मिलकर हम सबका सहारा बन जाएं।
आओ इस दिवाली भारत को भारत बनाएं।
हो न कोई भेद धर्म का भारतवर्ष में
आओ मिलकर सभी एक दूजे के गले लग जाएं।
आओ इस दिवाली भारत को भारत बनाएं।
— निशा नंदिनी गुप्ता