संयोग पर संयोग-3
संयोग तो जिंदगी में होते ही रहते हैं. हमारा सदाबहार कैलेंडर से नाता जुड़ना और अनेक कड़ियों का बनना भी एक संयोग है. इसकी बात तो हम करेंगे ही, पहले पिछली कड़ी से कुछ संयोग पर संयोग-
जब संयोग होते हैं तो हर कोई विस्मित रह जाता है. कई घटनाओं का एक साथ होना, एक ही दिन होना, दो परिचितों का अचानक किसी ऐसे स्थान पर मिल जाना जो कभी सोचा न हो, ऐसे ही जब कई घटनाएँ संग संग हो जाती हैं तो इस योग को हम संयोग कह देते हैं. यह अधिकतर सुखद ही होते हैं. आपके ब्लॉग लेखन के इतिहास के बारे में जाना, रुचिकर है. मुझे मेरी दोनों बेटियों ने और साथ ही मेरी धर्मपत्नी ने प्रोत्साहित किया. इसके बाद जो हो रहा है उसकी आप साक्ष्य हैं.
सुदर्शन खन्ना
संयोग के समानार्थी शब्द-
मेल, संपाती, अनुरूप, अच्छा भाग्य, नसीब,किस्मत, सौभाग्य, विपुल सम्पत्ति, भवितव्यता, कुदरत, सफलता, दुर्घटना, इत्तफ़ाक,आकस्मिक घटना, अप्रत्याशित घटना, संयुक्त, सम्मिश्रण, संयोजन, जोड़ना, संबंध आदि होते हैं.
लीला तिवानी
अब बातें सदाबहार कैलेंडर यानी 31 अनमोल वचनों के संकलन के बारे में. लेकिन, इससे भी पहले कुछ बात अनमोल वचनों के बारे में, जिनके संकलन से सदाबहार कैलेंडर्स का अस्तित्व प्रकाश में आया.
अनमोल वचनों से हमारा लगाव बचपन से ही है. हमारे लगभग हर स्कूल में (जिनमें मैं पढ़ी या पढ़ाती थी) अनमोल वचन का एक श्यामपट्ट होता था, जिस पर हर रोज एक नया अनमोल वचन लिखा जाता था. समस्त अध्यापन काल में इस श्यामपट्ट की ड्यूटी मैंने बड़े प्यार से निभाई, क्योंकि मुझे अनमोल वचन की अहमियत मालूम थी और मेरे पास शुरु से ही इसका संकलन होता था. मेरे बचपन का अनमोल वचन संकलन अभी तक मेरे पास सुरक्षित रखा हुआ है. अपने-अपने स्कूल में यही ड्यूटी हमारे दोनों बच्चों ने भी निभाई, उनके अनमोल वचन संकलन भी हमारे शैक्षणिक संकलन में मौजूद हैं.
गाथा सदाबहार कैलेंडर के सृजन की
सदाबहार कैलेंडर के सृजन की गाथा बहुत ही रोचक भी है और एक अद्भुत संयोग भी.अपना ब्लॉग शुरु होते ही सन 2011 के अंत में मुझे एक कैलेंडर को देखने का अवसर मिला. यह पूरी कथा आप इस ब्लॉग में पढ़ सकते हैं-
गाथा सदाबहार कैलेंडर के सृजन की
app cum website का सृजन-
इस सदाबहार कैलेंडर्स के बाद अब बारी आती है ‘कैलेंडर के साथ app cum website भी सदाबहार’ की. यह app cum website हमारे बहू-बेटे ने बहुत मेहनत से बनाई. मेरी आदत कहिए या शौक, मैं फेसबुक पर जब भी नया ब्लॉग अपलोड करती हूं, तो दो अनमोल वचन भी अपलोड करती हूं. पहले मुझे ये अनमोल वचन ढूंढने या सेव करके रखने पड़ते थे.
संयोग पर संयोग देखिए. 2017 में हमारे जन्मदिवस पर हमारे बहू-बेटे ने बहुत परिश्रम से एक app cum website का सृजन किया और हमें उपहार स्वरूप भेज दिया. इस सृजन की पूरी गाथा भी आप इस ब्लॉग में पढ़ सकते हैं-
जन्मदिन का उपहार, अब कैलेंडर के साथ app cum website भी सदाबहार
जन्मदिन का उपहार, अब कैलेंडर के साथ app cum website भी सदाबहार
इस app cum website का लिंक है-
http://www.sadabaharcalendar.com/
इस डिजिटल उपहार से हमारा काम अब बहुत आसान हो गया है. मैं इस app cum website को क्लिक करती हूं, तो एक अनमोल वचन का लिंक आ जाता है. उस लिंक को क्लिक करके मैं वह अनमोल वचन फेसबुक पर कॉपी-पेस्ट करती हूं, फिर रिफ्रेश पर क्लिक करती हूं, तो फिर एक और अनमोल वचन का लिंक आ जाता है. इस प्रकार अब मुझे अनमोल वचन न ढूंढने पड़ते हैं, न कहीं सेव करने पड़ते हैं. यहां फिर एक संयोग है.
संयोग देखिए, जिस मूड का ब्लॉग होता है, सदाबहार app cum website से उसी मूड का अनमोल वचन निकल आता है. है न संयोग पर संयोग!
इसके साथ ही एक और संयोग!
सुदर्शन भाई उस अनमोल वचन पर कामेंट में उससे मिलता-जुलता कोई अन्य काव्यमय अनमोल वचन लिख भेजते हैं, जो अगले सदाबहार कैलेंडर में सम्मिलित होता है. इससे उनकी काव्य प्रतिभा भी निखर रही है.
आपके साथ भी ऐसा कुछ संयोग हुआ होगा, आप भी कामेंट्स में हमें लिखकर भेज सकते हैं. इससे अन्य पाठक भी लाभांवित होंगे.
सुदर्शन खन्ना भाई ने संयोग के अनेक स्वरूप दिए हैं, साथ ही लेखन और ब्लॉग पर आने का संयोग कैसे बना, यह भी बताया है. हमने भी आपको संयोग के समानार्थी शब्द तथा सदाबहार कैलेंडर्स और app cum website की उपयोगिता के बारे में बहुत कुछ बताया है. आप भी अपने लेखन और जीवन के अन्य पहलुओं के संयोग के किस्से हमें कामेंट्स में लिखकर भेज सकते हैं. इससे अन्य पाठक भी लाभांवित होंगे. ये किस्से अगली कड़ी में आपके नाम से प्रकाशित भी होंगे. अपने अंदर के लेखक को पंख लगने दीजिए, उड़ान भरने दीजिए, शुभ दीपावली.