आज के दोहे
प्रेम, दया, करुणा सभी, मानव के श्रृंगार।
मिल-जुलकर जो रह गये, हो जाये उद्धार।
जीवन का दर्शन यही, यही समूचा सार।
कहते वेद, पुराण सब सुंदर रखो विचार।
जन्म सफल होगा तभी, जीवन सुखमय होय।
आस-पास देखो सभी, भूखा एक न होय।
बेटी ऐसा रत्न है, घर में इज्जत देउ।
जो घर इज्जत न करै, तौबा सब कर लेउ।
जीवन का उद्देश्य हो, मानव धर्म महान।
बिन मानवता के हुआ जीवन राख समान।
भला -बुरा क्या होत है, इसकी कर पहचान।
सबसे सुघर स्वभाव का, समदर्शी इंसान।
जीवन है कच्चा घड़ा, इसको लेउ पकाय।
जौ, तौ कच्चा रह गया, झटका से फुटि जाय।
दया हीन जीवन हुआ, रेगिस्तान समान।
प्रेम बीज न ऊपजै, ये है सच लो जान।
— लाल चन्द्र यादव (अम्बेडकर नगर उत्तर प्रदेश).