इक बोगी में भर लो कई हजार। यही,हम बोलेंगे। जीवन जबकि,फंसा हुआ मजधार। यही,हम बोलेंगे। पटना जैसे स्टेशन पर। भीड़ लगी है भारी। मुंबई नगरी जाने वाले। जुटे हुए नर-नारी। इधर पसीने से भीगे, सरकार। यही,हम बोलेंगे। जीवन जबकि फंसा हुआ मजधार। यही, हम बोलेंगे।। सीट ठसा-ठस भरी हुई। अगल-बगल भी कसी हुई है। शौचालय […]
Author: लाल चन्द्र यादव
ग़ज़ल
पढ़ो लिखो,खुद आगे आओ तभी सही है। जीवन को खुशहाल बनाओ तभी सही है।। तेरे हिस्से की रोटी कोई न देगा। अपने हाथों तुम्हीं उठाओ तभी सही है।। जीवन में खुशियों के दीपक तभी जलेंगे। शिक्षा का उजियारा लाओ तभी सही है।। नेताओं के चंगुल में क्यों फंसे हुए हो। अपनी किस्मत खुदी बनाओ तभी […]
दिया की रोशनी सी
दिया की रोशनी सी जल उठी हो तुम। कभी अर्धांगिनी बन चल उठी हो तुम। कभी माँ-बाप के नयनों में बस करके। कभी ससुराल जाकर छल उठी हो तुम।। कहीं भर शिशकियाँ,दम तोड़ देती हो। कहीं चंडी बनी, फिर चल उठी हो तुम।। वही जो प्यार की मूरत कही जाती। अरे!तेज़ाब से क्यों जल उठी […]
गीत – हम रोते हैं
दान मतों के अपने करके । हम रोते हैं। मन में जो विश्वास बचा था, उसको भी हम खो देते हैं। घर पर आकर वादे करते। चरणों में तुम सजदे करते। आशाओं के मोती यूँ ही। मन में अपने हमी पिरोते हैं। दान मतों के अपने करके हम रोते हैं। पटे हुए हैं,पेज, घोषणा पत्रों […]
आज के दोहे
प्रेम, दया, करुणा सभी, मानव के श्रृंगार। मिल-जुलकर जो रह गये, हो जाये उद्धार। जीवन का दर्शन यही, यही समूचा सार। कहते वेद, पुराण सब सुंदर रखो विचार। जन्म सफल होगा तभी, जीवन सुखमय होय। आस-पास देखो सभी, भूखा एक न होय। बेटी ऐसा रत्न है, घर में इज्जत देउ। जो घर इज्जत न करै, […]
गीत : ढूंढ़ने हम रोशनी को चल दिये
ढूंढ़ने हम रोशनी को चल दिये। मेरे अरमां हाथों से कुचल दिए।। कंटकों से थी भरी मंजिल मेरी। पर वहीं सम्मा जलाने चल दिये।। उसको हक से कह सकें अपना जो हम। इसलिए उसको मनाने चल दिये।। ढूढ़ने हम रोशनी…………. मेरे अरमां हाथों से………… काबिले तारीफ था वो कारवां। जिस के पीछे गुनगुना के चल […]
मेरी करवा चौथ
वो था कितना सुंदरतम पल। जब तुम हो मेरे घर आयी। मेरे जीवन में खुशियों से। तुम भरा कटोरा ले आयी। जब मृदुल वचन तुम बोली थी। प्रभु आप हमारे प्रियतम हैं। ये वचन लगे थे अमृत से। क्या इतना भी थोड़ी कम है। चहु ओर बधाई बाज रही। हर ओर खुशी का मौसम है। […]
पार कर दूं मैं
कल्पना को किस तरह साकार कर दूं मैं। किस तरह तीरे नज़र के पार कर दूं मैं। मर रहा हर साल रावण ,राम लीला में। किस तरह रावण का बंटाधार कर दूं मैं। जिंदगी मजलूम लोगों की है फूलों सी। किस तरह अरमान को बेजार कर दूं मैं। कल्पना करके ज़रा देखो मेरे यारों। दिल […]
दिया जलाने हम आये हैं
अपनी धरती की रक्षा को। आगे बढ़े कदम आये हैं। दिया जलाने हम आये हैं। माँ सीता को हरने वाले। स्वर्ण महल में रहने वाले। राम प्रभु की प्रत्यंचा से। दशकंधर वध कर आये हैं। दिया जलाने हम आये हैं। दुर्योधन औ कंस सरीखे। महा पाप करने वालों को। मधुसूदन औ पार्थ सरीखे। वध करने […]
हे माँ गंगे
हे देवसरी, हे देवनदी। हे देवपगा, हे ध्रुवनन्दा। करती पितरों का तुम तारन। कहलाती हो तुम माँ गंगा।। गंगोत्री हिमनद से निकली। हिमगिरि के चरणों से फिसली। करती कल-कल, छल-छल निकली। उन्मत्त यूँ लहराकर निकली। करती जगती का तुम तारन। कहलाती हो तुम हिमगंगा। करती पितरों का तुमतारन। कहलाती हो तुम माँ गंगा। स्नान मात्र […]