कविता

मेरी करवा चौथ

वो था कितना सुंदरतम पल।
जब तुम हो मेरे घर आयी।

मेरे जीवन में खुशियों से।
तुम भरा कटोरा ले आयी।

जब मृदुल वचन तुम बोली थी।
प्रभु आप हमारे प्रियतम हैं।

ये वचन लगे थे अमृत से।
क्या इतना भी थोड़ी कम है।

चहु ओर बधाई बाज रही।
हर ओर खुशी का मौसम है।

जीवन में अब हर बार लगे।
कितना प्यारा तू प्रियतम है।

जीवन कितना सुंदर लगता।
जब तुम मेरे संग होते हो।

नयनों से सागर बह जाता।
जब तुम थोड़े से रोते हो।

तेरी बाहों की मिली छाँव।
दुख-दर्द हुए सब छू मंतर।

जब हम -तुम मिलकर एक हुए।
तो फिर कोई न है! अंतर।

साथी तेरी मुस्कान देख।
मन मेरा हो जाता पतंग।

तुमको जब हंसता देखूँ तो।
फड़के अब मेरे सभी अंग।

तेरा-मेरा पावन बन्धन।
लगता है कितना पावनतम।

पापी निगाह से तुमको अब।
न देखे सबका खेल खतम।

मैं करवा चौथ तुम्हारी हूँ।
तुम तो हो मेरे चाँद सुघर।

जब दोनों  रिश्ता पावन।
तब खुशियों से भर जाये घर।

— लाल चन्द्र यादव

लाल चन्द्र यादव

ग्राम शाहपुर, पोस्ट मठिया, जि. अम्बेडकर नगर उ.प्र. 224149 शिक्षा एम.ए. हिन्दी, बी.एड. व्यवसाय शिक्षक, बेसिक शिक्षा परिषद, जिला-बरेली