दोस्ती
(दोस्ताना )
मै और मेरा दोस्त
देखी थी सूर्य की पहली किरण
फिर हम दोनो ने लिया संकल्प ,
साथ साथ चलते ही रहेगें
आज नही तो कल ,
पकड के हाथ की उंगली तेरी
कठिनाइयों मे हम डटे ,
मुंह तोड सी तन्हाइयाों से
अब जिंदगी होगी सफल,
दोस्ती का हाथ तेरा
आज भी कायम रहेगा ,
आप न होगे यहां पर
याद मे दामन रहेगा ,
मझधार मे तोडा तू वादा दोस्ती ठुकरा दिया ,
क्या हम नही थे साथ तेरे तू आंधियो से झगडा किया
हंसते हुये तू चल बसा हम देखते ही रह गये ,
कितना की पकडा चाहते पर हाथ मलते रह गये ,
हम दोस्त थे और भी रहेगे आज भी और कल ,
इस जनम न सही पर उस जनम मे होगे सफल ,
मेरे स्वर्गीव दोस्त ………
अजय कुमार कर्णधार
को समर्पित …………..
(ओम नारायण कर्णधार )