राजनीति

भारत रत्न किसे मिलना चाहिए ?

यह देश के लिए कितने दुर्भाग्य की बात है कि राज्य सभा में मनोनीत दो लोग क्रमशः ‘ भारत रत्न ‘ श्री सचिन तेंडुलकर और सुश्री रेखा (प्रसिद्ध अभिनेत्री) ये दोनों लोग राज्य सभा की एक भी बहस में उपस्थित नहीं रहे , इन दोनों की राज्य सभा में उपस्थिति भी बहुत खऱाब रही । राज्य सभा की कुल 348 बैठकों में ये क्रमशः 23 और 18 बैठकों में सम्मिलित हुए । वहीं राज्य सभा के लिए ही मनोनीत समाजिक कार्यकर्ता श्री संभा जी छत्रपति सबसे ज्यादे 337 दिन उपस्थित रहे । अब थोड़ा संसद के खर्च का आकलन सरकारी आंकड़ों के अनुसार करें, जिसका पैसा भारत की गरीब जनता की मेहनत की कमाई से टैक्स के रूप में काटकर जमा होता है और यह उसी के पैसे से चलता है । *भारतीय संसद जहां ये इस ‘ गरीब देश के प्रतिनिधि ‘ बैठते हैं ,वहां का खर्च  लगभग डेढ़ करोड़ रूपये (15000000 रूपये ) प्रति घंटे होता है। अब मूलभूत प्रश्न यह है कि ऐसे लोगों को राज्य सभा में मनोनीत करने का क्या औचित्य है , जिन्हें इस देश की गरीब जनता से कोई सरोकार ही नहीं है* ?
               श्री सचिन तेंदुलकर को ‘भारत रत्न ‘ का पुरस्कार भी ‘ भारत के हाकी के जादूगर स्व 0 ध्यानचंद ‘ को दरकिनार करके आनन-फानन में कांग्रेसी सरकार ने अपने राजनैतिक स्वार्थ हेतु चार घंटे में निर्णय करके दे दिया था। ये वही  ‘स्वर्गीय ध्यानचंद ‘ थे जिन्होंने 1936 में बर्लिन ओलम्पिक स्टेडियम में हिटलर के सामने ही जर्मनी को 8-1 गोल से बुरी तरह पीट दिया और ओलम्पिक खेलों के इतिहास में भारत का नाम रौशन किया । वहीं उन्होंने हिटलर की इस पेशकश को कि ‘अगर वे जर्मनी की तरफ से खेलें तो उन्हें अपनी सेना में जनरल की पदवी से सम्मानित करेंगे ‘ के प्रलोभन को विनम्रता से ठुकरा दिया। वहीं श्री सचिन तेंदुलकर जी ( मास्टर-ब्लास्टर जी ) इस देश की जनता की सेवा करना तो दूर अपने एक-एक रन का पौने तीन-तीन लाख रूपये लेकर आज, नौ अरब छिहत्तर करोड़ रूपये के (9760000000 रूपये ) के स्वामी हैं । इनके पास लगभग दो -दो करोड़ की पाँच विदेशी मंहगी गाड़ियां हैं। इसके अतिरिक्त केरल के सुन्दर समुद्र तट पर , लंदन में ,और बैंकाक में अत्याधुनिक सुविधाओं से पूर्ण आलीशान विला हैं । और पता नहीं , उनके पास विलासिता के लिए और क्या-क्या है ?
        आखिर ऐसे लोगों को  ‘भारत रत्न ‘ और ‘ सांसद ‘ बनाया ही क्यों जाता है? जो अपने जीवन में सिर्फ और सिर्फ अकूत पैसा ही कमायें हों । उन्हें न इस देश की जनता से सरोकार है ना यहाँ के समाज के दुःख से । ये ‘भारत रत्न’ का सम्मान भारत के उन जन नायकों को क्यों नहीं दिया जाता ? , जो इस देश के लिए ‘जिए भी और मरे भी ‘ । जो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता उससे यह सम्मान वापस भी लेने का अधिकार यहाँ की जनता को होनी चाहिए । ये पुरस्कार किसी की बपौती नहीं है , जो अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए किसी को भी दे दिये जायें। इन पुरस्कारों की घोषणा से पूर्व बाकायदा देश भर में विचार-विमर्श होनी चाहिए।
              इस देश की आवाम ‘शहीद-ए-आजम भगत सिंह ‘और , ‘नेताजी सुभाषचंद्र बोस ‘ ये दो नाम प्रस्तावित करती है, (हालांकि अब “उन महान लोगों” का स्थान और कद इस  देश की जनता की नजरों में “भारत रत्न” से बहुत ऊपर उठ चुका है ), फिर भी इन जन नायकों का नाम क्यों नहीं प्रस्तावित किया जाता ? जो इस देश ,यहाँ की जनता के लिए “अपना सर्वस्व न्योछावर”कर दिये ।
  — निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल [email protected]