लघुकथा

लघुकथा –सपना

रमेश की पत्नी का बेटे के विवाह के कुछ दिनों बाद ही निधन हो गया| पत्नि के बिना घर रमेश को सुना लगता और खाने को आता| बहू मधु और बेटे आलोक ने पूरा समपर्ण दिखाया, पिता की सेवा में कोई कमी नहीं रखी| बहू पूछती, “पापा आपको कुछ चाहिए तो निसंकोच बोल कर गर्म बनवा खा लिया करो|” बहू उनका पूरा ख्याल करती. पिता तुल्य हमेशा सम्मान देती| रमेश को लगता “जो हमने सपना देखा था उसी हिसाब से जीवन सुख मिल रहा है जो शायद मेरी पत्नी के नसीब में नहीं था| मेरे परिवार पर प्रभु की कृपा बनी रहे|” आखिर घर में नन्हा सा फरिश्ता आ गया, काम बढ़ गया| बहू को दोहरी जुम्मेवारी करनी पडती, बहू हर समय अधूरी नींद और थकान के कारण गुस्से में रहती| आखिर रमेश ने कहा, “बहू हम घर में काम के लिये नौकरानी रख लेते हैं, जब बच्चा बड़ा हो जायेगा, मन हुआ हटा देना|” बहू ने कहा, “मैं हूँ ना और मुझे नौकर कि ज़रूरत नहीं है और इंकार कर दिया|” रमेश ने कहा, “बहू, कुछ दिन रखने में इतराज़ क्यों है, ये मै अपने परिवार सुख के लिये कर रहा हूँ|” रमेश ने खुद भी कभी बच्चा नहीं उठाया था पर बोलते, “बहू, मुझे भी तो इससे से बतियाने दे, मुझे भी इससे दोस्ती बनानी है|” इस तरह बहू का बेटी रूप में होना किलकारियो का गूंजना सुन सारा आलम आनन्दित सा हो जाता|

रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]