गिरता राजनीतिक स्तर जिम्मेदार कौन
गिरता राजनीतिक स्तर जिम्मेदार कौन
वर्तमान में देश के कई राज्यों मध्यप्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ तेलंगाना व मिजोरम में विधान सभा चुनाव का तो उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव का जोर है। छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव सम्पन्न भी हो चुका है।हर बार की तरह इस बार भी प्रचार के दौरान मर्यादायें लांघी जाने लगी हैं।आरोप प्रत्यारोप का दौर आरम्भ हो चुका है।दोनों राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस जहां अपने विरोधी दलों के साथ-साथ अपने दल के बागियों से जूझ रहे हैं।कई वर्तमान विधायक नाक में दम किये हैं।इन दलों ने सत्तर के लगभग ऐसे नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।फिर भी नुकसान से बचना मुश्किल है जहां तक कांग्रेस का प्रश्न है उसको बागियों ने सदा ही नुकसान पहुंचाया है।दूसरी ओर भाजपा के बागी उ0 प्र0 रहा हो या गुजरात राजस्थान पूर्व में आंशिक नुकसान ही पहुंचा सके हैं।इसी के साथ एक बात और आश्चर्य जनक है कि सपा का मध्य प्रदेश में किसी से गठबंधन न होने के बाद वह इन दलों के कई बागियों को अपने टिकट पर न केवल चुनाव लड़वा रही है अपितु यादव परिवार उत्तर प्रदेश से लगे क्षेत्रों में इनका प्रचार भी कर रहा है।पर मध्य प्रदेश को पिछले पन्द्रह दिनों की गतिविधियों दलों के प्रचार व बयान बाजी के सन्दर्भ और मतदाता के तेजी से बदलते विश्वास से यह साफ दिख रहा है कि मामा जी के नाम से लोकप्रिय शिवराज सिंह का पलड़ा भारी है और संभव है कि वह फिर सरकार बना लें।
छत्तीसगढ़ में जोगी और सपा के गठजोड़ ने कांग्रेस के लिए एक बार फिर मुश्किल पैदा कर दी है।इसके अलावा कांग्रेस की समस्या वहां कोई बड़ा और सर्वमान्य चेहरा न होना भी है।अपनी अपनी दलगत छवि का प्रभाव भी है।ऊपर से राष्ट्रीय नेतृत्व के प्रति विश्वास भी प्रभावी है।दूसरी ओर चावल बाबा के नाम से प्रसिद्ध डा0 रमन सिंह जनता में अपने भरोसे के कारण और जनकल्याणकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से फिर वापसी करते दिख रहे हैं।
महारानी के नाम से विख्यात वसुन्धरा जी का राजस्थान इस चुनाव में सबसे अधिक उधेड़ बुन में डालता है जहां एक ओर अशोक गहलोत जी व सचिन पायलट की जोड़ी पूरा दम खम लगा रही है वहीं बहुत से मतदाताओं में महारानी के प्रति आक्रोश भी है।राज्य सरकार के कर्मचारी भी अन्दर खाने नाराज हैं।पिछले अगस्त से जयपुर के मेरे कई चक्कर लगे हैं जिसको वहां पर मैंने अनुभव किया है। भाजपा के लिए महत्वपूर्ण यह है कि उसके राष्ट्रीय नेतृत्व विशेषकर प्रधानमंत्री से नाराजगी नाममात्र को है।बहुत सी महिलायें पहली बार मतदाता बनी लड़कियों का एक बहुत बड़ा वर्ग वसुन्धरा जी का समर्थक भी है ।इससे वहां मुकाबला बड़ा कांटे का है और कांग्रेस बहुत कम अन्तर से आगे रहकर सरकार बनाती दिख रही है।पर हाल के दिनों होने वाली बयानबाजी वायरल हो रहे वीडियो अयोध्या विवाद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सभायें महारानी को पुनः सत्ता दिला कर राजस्थान का पांच साल में सरकार बदलने का मिथक तोड़ दें तो कोई अतिश्योक्ति न होगी।
अब बचे दो राज्य तेलंगाना व मिजोरम वहां पर सत्ता परिवर्तन की कोई संभावना अब तक नहीं दिख रही है।तेलंगाना में टीआर एस की छवि उसके मुख्यमंत्री के प्रति जनता का विश्वास और कांगेस का राज्य गठन से अब तक राज्य में सफर व उनके नेताओं का जनता में विश्वास ऊपर से टीडीपी सें गठबन्धन सबकुछ साफ कर रहे हैं।जनता अब बहुत जागरूक हो चुकी है ऊपर से सोशल मीडिया उसको राजनीति के उतार चढ़ावों से भली भंति परिचित करवा ही रही है। उसे यह भी पता है कि अब तक कांग्रेस और टीडीपी का क्या रिश्ता रहा है।अतः वहां मुझे टीआर एस ही वापसी करती दिख रही है।
पूर्वात्तर का एक मात्र गढ़ कांगेस बचाने में सफल रहेगी ऐसा विश्वास वहां के मतदाताओं और स्थानीय नेतृत्व को देखकर बनता है।हालांकि भाजपा ने वहां पर तेजी से अपना विकास किया है जड़ें जमायीं हैं स्थानीय नेतृत्व तैयार किया है पर वह सत्ता में आता नहीं दिख रहा है। हां अन्तिम समय में कोई चमत्कार हो जाये तो कुछ कहा नहीं जा सकता।
कुल मिलाकर आज इन राज्यों में चुनाव हैं कल कहीं और परसों लोकसभा के होंगे।पर प्रश्न यह है कि सत्ता के लिए आम जनता को ठगा जाना उसको न पूरे होने वाले वायदों की पोटली पकड़ा देना कहां तक न्यायसंगत है।साथ ही अर्नगल बयान बाजी से गिरता राजनीति का स्तर हम सबको सोचने पर विवश करता है कि आखिर नेहरू पटेल अटल शास्त्री जी की परम्परा वाली राजनीति कहां जा रही है। इसका कौन उत्तर दायित्व लेगा।इन पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा
यदि जनता हो जागरूक यह देश ठीक हो सकता है
हर ओर पांचाली का खुला केश ठीक हो सकता है।
ऋषि मुनियों का यह पावन देश ठीक हो सकता है
हमारे जगने से बिगड़ा सामंजस्य ठीक हो सकता है।।