गीतिका/ग़ज़ल

यादों के दस्तावेज़

दिल में छुपा के रखते हैं, यादों के दस्तावेज़।
पल पल हिसाब रखते हैं, यादों के दस्तावेज़।
फैली हुयी तनहाईयों से, तू न हो पशेमां,
हरदम यही कहते हैं, यादों के दस्तावेज़।
यूं आलमें खामोशियों में, लब सिले हुए,
सरगोशियां करते हैं, यादों के दस्तावेज़।
अफ़साना जो दोहराएं, तसव्वुर में बैठ के,
तस्कीन सी देते हैं, यादों के दस्तावेज़।
लहराता है साया सा, हर लमहां आस पास,
देखा जो मुड़के चलते हैं, यादों के दस्तावेज़।
पुष्पा “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 [email protected] प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है