यादों के दस्तावेज़
दिल में छुपा के रखते हैं, यादों के दस्तावेज़।
पल पल हिसाब रखते हैं, यादों के दस्तावेज़।
फैली हुयी तनहाईयों से, तू न हो पशेमां,
हरदम यही कहते हैं, यादों के दस्तावेज़।
यूं आलमें खामोशियों में, लब सिले हुए,
सरगोशियां करते हैं, यादों के दस्तावेज़।
अफ़साना जो दोहराएं, तसव्वुर में बैठ के,
तस्कीन सी देते हैं, यादों के दस्तावेज़।
लहराता है साया सा, हर लमहां आस पास,
देखा जो मुड़के चलते हैं, यादों के दस्तावेज़।
— पुष्पा “स्वाती”