आहिस्ता-आहिस्ता चलो पांव से
यह पायल खनक न जाए पांव से
खनकेगी पायल तो दिल मचलेंगे
आधी रात में मिलने को तड़पेंगे।
मदहोश करती है पायल मुझे
चुराती आँखों की निंदिया मेरी
बुलाती इशारों से अपने मुझे
ले जाती है दिल का चैन मेरे।
आहिस्ता आहिस्ता…………. ।
छेड़ती है यह मीठी सी रागिनी
मन अब काबू में मेरे रहता नहीं
झन झनाती पग-पायल सलोनी
हुक हिय में उठने लगी अनमनी।
आहिस्ता आहिस्ता…………. ।
— निशा नंदिनी
तिनसुकिया, असम